दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद दिल्ली सरकार एक्शन मोड में है. सुनवाई के बाद दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने समीक्षा बैठक की. इसमें दिल्ली में 1000 अतिरिक्त सीएनजी बसों को चलाने का फैसला लिया गया. इसके साथ ही दिल्ली में गैस आधारिक इंडस्ट्री को छोड़कर अन्य इंडस्ट्री को बैन कर दिया गया है. दिल्ली में 21 नवंबर तक निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. वहीं सभी सरकारी कर्मचारी 100% वर्क फ्रॉम होम करेंगे. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि पराली के कारण राजधानी का प्रदूषण बढ़ रहा है. इस पर पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य क्रुनेश गर्ग ने कहा कि पराली सिर्फ अक्टूबर और नवंबर में जलाई जाती है. वहीं, दिल्ली का AQI स्तर दिसंबर और जनवरी में भी उच्च पर रहता है, इसकी क्या वजह है?
दिल्ली में शैक्षणिक संस्थानों को पहले ही बंद कर दिया गया है. दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल, 15 साल पुरानी गाड़ियों की लिस्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी गई. वाहन प्रदूषण सर्टिफिकेट की सघन जांच होगी. दिल्ली में 372 वॉटर टैंकर से छिड़काव हो रहा है, फायर ब्रिगेड की मदद से 13 हॉट स्पॉट पर पानी का छिड़काव किया जाएगा. ट्रैफिक कंजेन्शन की जांच के लिए ट्रैफिक पुलिस को आदेश दिया गया है.
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए 392 पेज के हलफनामे में कहा कि वो अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कराने के पक्ष में नहीं है. केंद्र की ओर से तर्क दिया गया कि कोविड के चलते ही पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है, इसलिए वर्क फ्रॉम होम मुमकिन नहीं है. केंद्र ने कहा कि 21 तारीख से मौसम बदल जाएगा तो प्रदूषण में भी कमी आ जाएगी. इस पर कोर्ट ने भड़कते हुए कहा कि हम हाथ पर हाथ धरकर बैठकर मौसम बदलने का इंतजार नहीं कर सकते. कोर्ट ने ये भी पूछा कि सरकार को प्लान बताना चाहिए कि वो प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है.
Source : News Nation Bureau