दिल्ली दंगा की सुनवाई कर रहे दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा समेत कई दिग्गज नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा है. इन नेताओं पर नफरती बयानों से दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है. याचिका कर्ताओं ने इन सभी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनके खिलाफ जांच शुरू करने और उन्हें पक्षकार बनाने का अदालत से अनुरोध किया गया है. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा है कि दंगों की जांच से अब तक कोई सबूत सामने नहीं आया है कि राजनीतिक नेताओं ने हिंसा भड़काई या उसमें शामिल थे.
इन नेताओं के खिलाफ जारी हुआ है नोटिस
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी के नेता अनुराग ठाकुर, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित अनेक नेताओं के नफरती भाषणों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दायर याचिका पर सोमवार को उन्हें नोटिस जारी किये. उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने सभी प्रस्तावित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए हैं, जिनके खिलाफ याचिका में कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.
ये भी पढ़ेंः मुंबई को मिला नया पुलिस कमिश्नर, IPS संजय पांडे को मिला जिम्मा
दरअसल, याचिका में आरोप लगाया गया है है कि इन नेताओं के नफरती भाषणों की वजह से ही फरवरी 2020 में दंगे हुए थे. याचिका में इन नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने उनके खिलाफ जांच शुरू करने के लिए पक्षकार बनाने का अनुरोध किया गया था. इसी याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने इस सभी नेताओं को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि हम किसी को पक्षकार बनाने से पहले हमें उन्हें एक अवसर देना होगा, ताकि वे अपनी बात रख पाएं. अगर उन्होंने इसका तथ्यों के साथ विरोध किया तो हम पक्षकार नहीं बना सकते.
इन नेताओं के खिलाफ जारी हुआ है नोटिस
गौरतलब है कि दिल्ली दंगा मामले में नेताओं को पक्षकार बनाने के लिए एक याचिका शेख मुजतबा फारूक ने दाखिल की थी. इस याचिका में उन्होंने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था. इसके अलावा एक अन्य याचिका कर्ता न ‘लॉयर्स वॉयस’ ने अपनी याचिका में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान, सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, छात्र उमर खालिद, बीजी कोलसे पाटिल और कई अन्य के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था.
दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत
24 फरवरी 2020 को जाफराबाद और मौजपुर में हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें एक पुलिस अधिकारी और एक प्रदर्शनकारी मारे गए. सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने परस्पर एक-दूसरे पर पथराव किया और घरों, वाहनों और दुकानों में तोड़फोड़ की. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 की रात से शुरू होकर, उत्तर पूर्व दिल्ली के जाफराबाद इलाके में रक्तपात, संपत्ति विनाश, दंगों और हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला थीं. इसमें 53 लोग मारे गए थे और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. यह दंगा मुख्य रूप से हिंदू-मुस्लिम दंगा था. मारे गए 53 लोगों में से, दो-तिहाई मुसलमान थे, इन सभी को गोली मारी गई थी या फिर तलवार से काट दिया गया या आग से जला दिया गया था. मृतकों में एक पुलिसकर्मी, एक खुफिया अधिकारी और एक दर्जन से अधिक हिंदू भी थे. आरोप है कि दिल्ली दंगे की शुरुआत भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान के बाद हुई थी.
HIGHLIGHTS
- याचिका में नेताओं पर भड़कीले बयान देने का लगाया आरोप
- नफरती बयानों से दंगा भड़कने का लगाया गया है आरोप
- आरोपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर और जांच की मांग