दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र शरजील इमाम (Sharjil Imam) की न्यायिक हिरासत को 22 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है. शरजील पर आरोप है कि उसने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में जारी एक धरने में असम को देश से काटने की बात कही थी. उसे दिल्ली के पूर्वोत्तर क्षेत्र में फरवरी में सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था.
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने 25 अगस्त को हिंसा के सिलसिले में गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत शरजील को गिरफ्तार किया था, जिसे असम के जेल से प्रोडक्शन वारंट पर राजधानी दिल्ली लाया गया था. जेएनयू के सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज में पीएचडी के छात्र शरजील को उसकी एक महीने की न्यायिक हिरासत के अंत में तिहाड़ कॉम्प्लेक्स की जेल नंबर एक से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया.
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शरजील की वकील सुरभि धर ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, कभी नहीं समझ पाई हूं कि मैं इस मामले में क्यों हूं. उन्होंने न्यायिक रिमांड के विस्तार का भी विरोध किया. इसके साथ ही उन्होंने इस बात का भी विरोध किया कि रिमांड कॉपी उन्हें क्यों नहीं दी गई. यह मामला हिंसा (दंगा) भड़काने के एक 'षड्यंत्र' से संबंधित है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 748 लोग घायल हुए थे. भले ही पुलिस ने मामले में एक स्वैच्छिक आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर किया हो, लेकिन उसके नाम का उल्लेख नहीं किया गया है और उसे पूरक चार्जशीट में जोड़ा जाएगा.
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शरजील को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था. वह शाहीन बाग में प्रदर्शन के आयोजन में शामिल था. लेकिन वह तब सुर्खियों में आया था, जब एक वीडियो में वह अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में एक सभा में विवादास्पद टिप्पणी करते हुए देखा गया. उसके बाद उस पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया.
शाहीन बाग प्रदर्शन के शुरूआती आयोजकों में से एक शरजील के खिलाफ दिल्ली पुलिस की ओर से भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए, 153 ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसके अलावा 16 जनवरी को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए एक भाषण को लेकर उसके खिलाफ देशद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया था. असम पुलिस ने भी शरजील के भाषणों को लेकर उसके खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया है.
Source : News Nation Bureau