देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी में हिंसा के मामले में परत-दर-परत साजिशों का खुलासा हो रहा है. इस हिंसा को लेकर अब एक और खुलासा हुआ है. प्रमुख षड्यंत्रकारियों ने नरसंहार के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए 'गुरिल्ला रणनीति' को अपनाने का फैसला किया था. दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र में इस बात का दावा किया है. दिल्ली की अदालत में 16 सितंबर को पुलिस ने आरोप पत्र में दाखिल था.
पुलिस ने आरोप लगाया, 'जब दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) के कुछ सदस्यों ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की और उनकी आतंकवादी गतिविधियों को उजागर करने की धमकी दी तो षड्यंत्रकारी घबरा गए थे.' पुलिस ने आरोप पत्र में दावा किया गया है, 'प्रमुख साजिशकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा से असंतुष्ट और निराश डीपीएसजी व्हाट्सएप समूहों के कुछ सदस्यों ने डीपीएसजी समूह के उन सभी दोषियों को बेनकाब करने की धमकी दी जो इन दंगों के लिए जिम्मेदार है.'
इसमें दावा किया गया है, 'फेसबुक पोस्ट और व्हाट्सएप बातचीत उन तथ्यों को स्थापित करते हैं, जिनमें जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने खुद को कभी भी विरोध से अलग नहीं किया था.' ज्ञात हो कि राष्ट्रीय नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसा के बाद गत 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी. इस हिंसा में लगभग 200 अन्य घायल हुए थे.