केंद्र की नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार जम्मू-कश्मीर के रूप-स्वरूप को सिरे से बदलने वाला अपना दूसरा कदम उठाने जा रही है. इस कदम को अमली जामा पहनाने में लगभग 14 महीने का समय लगेगा. इस कदम के तहत जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों को कुल आबादी के अनुसार चिन्हित कर परिसीमन के काम को अंजाम दिया जाएगा. इससे आबादी के अनुसार लोगों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सकेगा. चुनाव आयोग ने इस काम को अंजाम देने के लिए पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.
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चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट
धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद केंद्र सरकार के इस कदम से सिर्फ मुसलमान मुख्यमंत्री की परंपरा भी समाप्त हो जाएगी. साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों को विधानसभा गठित होने की स्थिति में उचित प्रतिनिधित्व भी मिल सकेगा. नए परिसीमन का काम नौ से दस चरणों में पूरा होगा. इस परियोजना पर काम गृह मंत्रालय से आधिकारिक अधिसूचना प्राप्त होते ही शुरू हो जाएगा. बताते हैं कि चुनाव आयोग ने वर्ष 2000-2001 में उत्तराखंड में अपने अनुभव के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है.
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114 सदस्यों की होगी विधानसभा
परिसीमन प्रक्रिया को अंजाम देते समय, जनसंख्या को सीमाओं के पुनर्वितरण और आवंटन के आधार बनाया जाता है. यह कार्य चार सदस्यीय परिसीमन आयोग को सौंपा गया है, जिसमें से एक सदस्य चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करता है. जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल होंगे और इसकी विधानसभा की अधिकतम शक्ति 107 होगी जो परिसीमन के बाद 114 तक बढ़ जाएगी. विधानसभा की चौबीस सीटें खाली रह जाएंगी क्योंकि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अंतर्गत आती हैं.
HIGHLIGHTS
- जम्मू-कश्मीर के नए सिरे से परिसीमन का काम जल्द होगी शुरू.
- विधानसभा की अधिकतम शक्ति 114 सदस्यों वाली हो जाएगी.
- 14 महीने में नौ से दस चरणों में पूरा हो जाएगा परिसीमन.