सुप्रीम कोर्ट ने चार पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन कराने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है. यह चार राज्य है अरुणाचल प्रदेश,असम,मणिपुर और नागालैंड. याचिका में मांग की गई थी इन चार राज्यों में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत परिसीमन करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देशित किया जाए. इस पर जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की बेंच ने केंद्र,कानून और न्याय मंत्रालय और मुख्य चुनाव आयुक्त से जवाब मांगा.याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए. उन्होंने राष्ट्रपति के 28 फरवरी 2020 के आदेश का हवाला दिया जो इन चार राज्यों में परिसीमन कराने की मंजूरी देता है,
उन्होंने आगे कहा की भारत सरकार ने 6 मार्च, 2020 को जारी एक अधिसूचना जारी कर जम्मू और कश्मीर,असम,अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में राज्यों में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से एक परिसीमन आयोग का गठन किया था. इसके लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया,लेकिन अभ्यास केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित रहा.
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परिसीमन आयोग के गठन का निर्देश
इस याचिका में परिसीमन अधिनियम, 2002 के प्रावधान और जनप्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 8ए के तहत एक परिसीमन आयोग के गठन का निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया है कि असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में पिछले 51 वर्षों से परिसीमन की कवायद नहीं की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपालशंकर नारायण ने 28 फरवरी 2020 के राष्ट्रपति के आदेश का हवाला दिया, जिसमें 4 पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन अभ्यास करने की अनुमति दी गई थी.
HIGHLIGHTS
- परिसीमन कराने की मांग वाली याचिका पर नोटिस
- वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए़
- न्याय मंत्रालय और मुख्य चुनाव आयुक्त से जवाब मांगा