भारत एक आर्थिक सुपरपॉवर के रूप में उभर रहा है, जो आने वाले सालों में एशिया के संभावित कार्यबल के आधे से ज्यादा हिस्से की आपूर्ति करेगा, जहां जनसांख्यिकी एशिया में सत्ता के संतुलन को बदल रही है। डेलॉइट की 'वॉयस ऑफ एशिया' रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
ब्रिटेन की बहुराष्ट्रीय वित्तीय सेवा कंपनी की भारतीय इकाई ने यहां सोमवार को एक बयान में कहा, 'भारत उन मुट्ठीभर दक्षिण एशियाई देशों में से एक है जो जनसांख्यिकीय रूप से सोने की खान पर बैठा है। भारत की औसत आयु 27.3 वर्ष है, जबकि चीन की 35 वर्ष और जापान की 47 वर्ष है।'
इसमें कहा गया, 'जनसांख्यिकीय विकास महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आर्थिक विकास के साथ आंतरिक रूप से जुड़ा है, इसलिए इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।'
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भारत में हर साल 1.2 करोड़ कामकाजी आबादी जनसंख्या में शामिल होती है। जापान और चीन के बाद भारत एशिया में विकास की लहर को आगे ले जाएगा। भारत का संभावित कार्यबल अगले 12 सालों में वर्तमान के 88.5 करोड़ से बढ़कर 1.08 अरब हो जाएगा।
डेलॉयट इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री अनीस चक्रवर्ती ने कहा, 'आने वाले दशक में एशिया के कार्यबल में आधे से भी ज्यादा वृद्धि भारत में होगी।'
साल 2042 तक एशिया में 65 साल की उम्र से अधिक की आबादी तब की यूरोप और उत्तरी अमेरिका की आबादी से अधिक होगी।
डेलॉइट ने कहा कि एशिया में 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इस शताब्दी के मध्य तक यहां 1 अरब लोग इस उम्र के होंगे।
बयान में कहा गया, 'अधिक उम्र के लोगों पर होने वाला खर्च एशिया में तेजी से बढ़ेगा, क्योंकि नई प्रौद्योगिकी के प्रभाव और पुराने रोगों में बढ़ोतरी के चलते स्वास्थ्य सेवाओं का अन्य खर्चो के मुकाबले तेजी से बढ़ेगा।'
बयान में कहा गया, 'निजी क्षेत्र के अवसरों में तेज बढ़ोतरी होगी, क्योंकि आने वाले दशकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी खर्च में कटौती होगी।'
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Source : IANS