सैनिक सीमा पर तैनात रहते हुए देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे देता हैं. देश के दुश्मनों को निस्तेनाबूत कर देता है. वह देश की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित रहता हैं, ताकि देश सुरक्षित रहे, खुशहाल रहे, विकास के मार्ग पर निरंतर चलता रहे. वहीं, जब एक सैनिक के गांव में विकास की बात आती है तो तरक्की कोषों दूर दिखाई देती है. गांव में न रास्ता, न अच्छी सुविधा. व्यवस्था के नाम पर केवल बदहाली है.
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दरअसल, राजौरी के रहने वाले भूतपूर्व सैनिक सुबेदार संतन सिंह ने अपनी पीड़ा को बताया. उन्होंने कहा कि मैं साल 1971 में फौज से सेवानिवृत्त हुआ हूं, तब से लेकर आज तक मेरे गांव में एक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. सरकार कुछ भी नहीं कर रही है. हम 1947 से भी ज्यादा पिछड़े हुए है. उन्होंने कहा कि गांव में रोड के लिए मैंने कई बार प्रार्थना पर दिए है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
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भूतपूर्व सैनिक का कहना है कि गांव में एक रोड है उसकी हालत बेहद खराब है. मैंने कोशिश कई बार कोशिश की थी कि गांव से एक लिंक रोड है, लेकिन उसका काम एक साल से बंद पड़ा है. मैंने कई मंत्रियों को पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ये सरकार कहती है कि घर रोड होगा, मैं कहता हूं कोई भी अधिकारी आकर गांव में देख ले, एक भी रोड नहीं है.
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उन्होंने सरकार पर तंज करते हुए कहा कि इससे अच्छा अंग्रेजों को समय में था. कब एक सैनिक के घर तक रोड बन जाती थी, लेकिन अब कोई व्यवस्था नहीं है. भूतपूर्व सैनिक सुबेदार संतन सिंह ने कहा कि मेरी उम्र 95 साल है, मुझए पांच किलो मीटर पैदल चलना पड़ता है. गांव में रोड नहीं होने की वजह से गांव पूरी तरह से बदहाल है. मेरी सरकार से अपील है कि वह गांव में एक रोड का निर्माण करवा दे.
Source : News Nation Bureau