यूपी में बुलडोजर कार्रवाई रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल हुई याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh government) ने जवाब दाखिल कर दिया है. यूपी सरकार ने याचिका को जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की है. उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के हलफनामे पर आए जवाब के अहम बिंदु हम आपके सामने रख रहे हैं. पढ़ें, किस तरह से यूपी सरकार (Uttar Pradesh government) ने अपना जवाब मजबूती से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के सामने रखा है.
- खुद अवैध निर्माण करने वालों बिल्डरों ने प्राधिकरण के सामने एफिडेविट पर गलती स्वीकार की हुई है, जमीयत की याचिका में दिए गए तथ्य पूरी तरह भ्रामक और गलत
- कोई भी प्रभावित पक्ष सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचा
- एकतरफा कुछ मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दाखिल की गई SC में याचिका.
- कार्रवाई समुदाय या संप्रदाय विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि पहले से स्थापित कानूनी प्रक्रिया के अनुसार हुई
- मामले को दूसरा रंग देने की कोशिश की जा रही है जिसके पीछे मंशा सही नहीं.
- दंगाइयों को सजा देने के लिए यूपी सरकार के पास आईपीसी, सीआरपीसी, गैंगस्टर रोकथाम अधिनियम, सार्वजनिक या निजी संपत्ति के नुकसान के लिए वसूली अधिनियम जैसे दूसरे कानून हैं, अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई का उससे कोई संबंध नहीं.
- कानपुर और प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा की गई जिन बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठे, उनके नोटिस दंगों से पहले जारी किए गए और पूरी स्थापित प्रक्रिया का पालन किया गया.
- हलफनामे में अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई से संबंधित नोटिस और अन्य प्रक्रिया की तारीख और फोटो साक्ष्यों के साथ सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया है.
- प्रयागराज में दंगे के अहम आरोपी जावेद की प्रॉपर्टी पर उसके नाम की नेमप्लेट और उसकी संस्था ऑफिस का बड़ा बोर्ड लगा है, उसके अवैध निर्माण के खिलाफ मिली थी शिकायतें.
- इससे पहले भी जारी हुए थे नोटिस, लेकिन परिवार ने नोटिस नहीं लिया, दीवार पर भी चस्पा किया गया नोटिस और साक्ष्य के तौर पर उसका फोटोग्राफ उपलब्ध है
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बता दें की उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना विस्तृत हलफनामा दायर किया है, पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट नहीं याचिकाकर्ता के वकील और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और हरीश साल्वे की दलीलों को सुनने के बाद कार्रवाई पर किसी तरह की रोक लगाने से फिलहाल इनकार किया था और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था.
जमीयत-ए-उलेमा द्वारा दायर याचिका पर कल या शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई किए जाने की उम्मीद है. यूपी सरकार ने यह भी कहा कि अगर इस तरह के किसी भी कथित विध्वंस कार्रवाई को चुनौती दी जानी है, तो उसे प्रभावित पक्ष द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष किया जाना है, न कि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष.
HIGHLIGHTS
- यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा
- नियमों के मुताबिक ही चल रहे बुलडोजर
- गलत नीयत से दायर की गई है याचिका