सुप्रीम कोर्ट ने एक भाई बहन की याचिका पर सुनवाई करते हुए आरबीआई और वित्त मंत्रालय को जवाब दाखिल करने के चार हफ्ते का और वक्त दिया है।
इससे पहले 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर सरकार से पूछा था कि क्या सरकार 1000 और 500 के नोट को जमा कराने के लिए एक और मौका दे सकती है? हालांकि सरकार ने इससे साफ इनकार कर दिया था।
आरुषि जैन और अपूर्व जैन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कहा था कि उनके माता-पिता के लॉकर में उन्हें 60 लाख रुपये के पुराने नोट मिले हैं। वे सरकार से इन नोटों को बदलवाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता की एक कार एक्सिडेंट में मौत हो गई थी।
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उस समय दोनों भाई बहन नाबालिग थे। जब दोनों बालिग हुए तो दिल्ली के साकेत कोर्ट के आदेश पर 17 मार्च को लॉकर खोला गया। लेकिन तब तक सरकार की ओर से नोटबंदी के बाद पुराने नोटों को बदलने की डेट खत्म हो चुकी थी।
दोनों भाई बहन ने मांग की है कि उन्हें इन नोटों को बदलवाने की इजाजत दी जाए। हालांकि इससे पहले भी ऐसे ही एक मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को जमा करने के लिए कोई अवसर देने के पक्ष में नहीं है।
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सरकार ने कहा था कि ऐसा करने से नोटबंदी का जैसा फासला लेने के उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
वहीं मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि अगर कोई व्यक्ति साबित करता है कि उसके पास वैध तरीके से कमाया गया पैसा है तो उस व्यक्ति को नोट जमा करने से कैसे वंचित रखा जा सकता है?
Source : News Nation Bureau