पिछले 15 सालों में संसद के इस शीतकालीन सत्र में सबसे कम काम हुआ है। थिंक टैंक पीआरएस के रिसर्च में ये बात सामने आई है।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में नोटबंदी का मुद्दा पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान गर्माया रहा। एक तरफ जहां सरकार इसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार बताती रही वहीं विपक्ष ने सरकार पर सदन ना चलने देने का आरोप लगाया है।
पीआरएस के आंकड़ों के मुताबिक संसद के इस शीतकालीन सत्र में कुल 8 नए बिल पास होने थे लेकिन हंगामे की भेंट चढ़ने की वजह से सिर्फ 2 बिल ही इस सत्र में पास हो पाए।
16 वीं लोकसभा के दौरान भी पिछले ढाई सालों में ये सत्र काम के लिहाजा से सबसे ज्यादा निराशाजनक रहा।
संसद के इस शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में तय समय के सिर्फ 18 फीसदी हिस्से का ही कामकाज के लिए इस्तेमाल हुआ जबकि लोकसभा में सिर्फ 15 फीसदी समय का ही इस्तेमाल कामकाज के लिए किया गया।
साल 2016 में आकंड़े के मुताबिक लोकसभा में 92 फीसदी समय का इस्तेमाल कामकाज के लिए हुआ जबकि राज्यसभा में सिर्फ 71 फीसदी समय का ही इस्तेमाल सदन की कार्यवाही के लिए हुआ।
संसद के इस शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में 330 सवाल पूछे जाने थे लेकिन हंगामे की वजह से सिर्फ 2 सवालों के ही जवाब दिए गए। पिछले 15 सालों में सबसे कम सवाल के जवाब राज्यसभा के इसी सत्र में दिए गए हैं।
इससे पहले साल 2010 और 2013 के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में सबसे कम काम हुआ था जहां 480 सवालों में सिर्फ 60 सवालों के ही जवाब दिए गए थे
वहीं लोकसभा में भी सिर्फ 11 फीसदी सवालों के ही जवाब दिए गए वो भी मौखिक ना कि लिखित में। 16 वीं लोकसभा के इस शीतकालीन सत्र में लोकसभा में भी सबसे कम काम हुआ है।
HIGHLIGHTS
- संसद के इस शीतकालीन सत्र में पिछले 15 सालों में सबसे कम काम : थिंक टैंक PRS
- लोकसभा में 15 फीसदी और राज्यसभा में 18 फीसदी हुआ काम: थिंक टैंक PRS
Source : News Nation Bureau