हवाई यात्रा करने वाले किसी भी तरह के यात्री को अगर विमान कंपनियां प्लेन में चढ़ने से मना करती हैं, तो इसके लिए मेडिकल जांच कराना जरूरी होगा. बिना मेडिकल जांच कराए और बिना वाजिब वजह बताए कोई भी विमानन कंपनी किसी भी यात्री को प्लेन में चढ़ने से मना नहीं कर सकती है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरलाइन कंपनियों को इस बाबत दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. DGCA ने कंपनियों से कहा है कि किसी दिव्यांग यात्री को बिना मेडिकल जांच कराए विमान में बैठने से नहीं रोका जा सकता है.
डॉक्टर तय करेगा, यात्री उड़ान भरेगा या नहीं
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने अपने निर्देश में कहा है कि अगर एयरलाइन को लगता है कि दिव्यांग यात्री विमान में बैठने की हालत में नहीं है और उड़ान के दौरान उसे दिक्कत हो सकती है तो यात्री को बिना डॉक्टरी जांच कराए विमान में बैठने से इनकार नहीं कराया जा सकता है. इस बाबत कंपनियों को पहले एयरपोर्ट पर मौजूद डॉक्टर से सलाह लेनी होगी, जिसके आधार पर सही फैसला लिया जा सकता है. अगर एयरलाइन को लगता है कि किसी यात्री का स्वास्थ्य उड़ान के दौरान खराब हो सकता है तो सबसे पहले उसका डॉक्टरी जांच कराना होगा और उनकी सलाह पर ही यह तय किया जाना चाहिए कि अमुक यात्री उड़ान के लायक है अथवा नहीं. अगर किसी केस में डॉक्टर यात्री को उड़ान भरने से रोकने की सलाह देता है तो एयरलाइन को इस बारे में तत्काल यात्री को लिखित में सूचना देनी होगी और विमान में बैठने से रोकने का स्पष्ट कारण भी बताना होगा.
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इंडिगो पर लगा था जुर्माना
बता दें कि डीजीसीए ने यह कदम इंडिगो एयरलाइन में एक मामला सामने आने के बाद उठाया है. जिसमें इंडिगो के स्टाफ ने 9 मई, 2022 को रांची-हैदराबाद की उड़ान में एक दिव्यांग लड़के को बैठाने से इनकार कर दिया था. बच्चे को यात्रा से रोके जाने के बाद उसके अभिभावक ने भी उड़ान से इनकार कर दिया. इस मामले में इंडिगो पर 5 लाख का जुर्माना लगाया गया था. इस मामले का केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी संज्ञान लिया था और नाराजगी जताई थी.
HIGHLIGHTS
- डीजीसीए ने जारी किए नए निर्देश
- बिना मेडिकल जांच के प्लेन में चढ़ने से नहीं रोका जा सकेगा
- रांची मामले के बाद डीजीसीए ने उठाया ये कदम