अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीनी सेना के बीच हुई झड़प को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक बीते 9 दिसंबर को यह मामला सामने आया था. इस मामले में एक नई सूचना मिली है. ऐसा बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने उस दिन करीब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 63 जवानों को बंदी बना लिया था. इसके बाद चीनी पक्ष को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा. सेना ने इस दौरान चीनी फौज के घातक हथियारों को जब्त कर लिया था. यह हथियार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों के लिए खासतौर से डिजाइन किए गए थे. इसका आकार छड़ी जैसा था, इसका उपयोग 2020 में गलवान संघर्ष के दौरान भी किया गया था.
इस छड़ी को देखकर ऐसा लगता है कि यह जैसे किसी पर्वतारोही के लिए है. मगर भारतीय जवान इस तरह के धोखे को समझते हैं. ट्रैकर्स इस तरह की छड़ियों का उपयोग नहीं करते हैं. इस तरह की छड़ी में घातक कीले लगी हुई हैं. ये छड़ियां आठ से नौ दिसंबर के बीच पीएलए सैनिकों से जब्त की गईं. इन्हें अब अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एक कमरे में रखा गया है. इन छड़ियों पर चमक है, इससे किसी का भी ध्यान भटकाया जा सकता है.
तीन सैनिकों को दबोच लिया था
भारतीय सेना ने आठ दिसंबर को एक पीएलए गश्ती दल रोका. यह एलएसी पार कर गया. टीम के अन्य सदस्य वापस चले गए. वहीं पीएलए के तीन सैनिकों को दबोच लिया गया. उनकी हिरासत ने यह साबित कर दिया था कि एलएसी को पार करने की कोशिश की गई. इस बीच पीएलए ने चीनी सैनिकों को छुडाने के लिए जवाबी हमले का निर्णय लिया. नौ दिसंबर को भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति से निपटने को तैयार थी.
पिटाई के कारण भागने पर मजबूर किया
भारतीय सेना ने पीएलए पर नजर रखने के लिए एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट (ओपी) को तैयार किया. 9 दिसंबर को पीएलए का ‘दंगा दस्ता’ तीन सौ से ज्यादा कर्मियों के साथ पहुंचा. भारतीय सेना के जवानों ने न सिर्फ उनकी पिटाई की बल्कि उन्हें वापस भगाया. उन्हें नुकीली छड़ियों के साथ पकड़ा. पिटाई के डर से कई सैनिकों ने अपनी छड़ियों को वहीं पर छोड़ दिया.
Source : News Nation Bureau