राज्यसभा में कुछ नहीं बोल पाने की मजबूरी से घुट रहे दम का हवाला देकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) से इस्तीफा देने वाले दिनेश त्रिवेदी ने अब जो कारण पार्टी छोड़ने के बताए हैं, वह तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक के वर्चस्व और नए रणनीतिकार प्रशांत किशोर के तुगलकी फरमान को ही जिम्मेदार बताते हैं. बीजेपी तो लगातार ममता सरकार (Mamata Banerjee) पर हिंसा का आरोप लगाती रही है. अब दिनेश त्रिवेदी (Dinesh Trivedi) ने भी उसी लाइन पर टीएमसी पर आरोप लगाए हैं कि उसने भ्रष्टाचार औऱ हिंसा के मामले में वाम मोर्चा की सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है. उनका यहां तक कहना है कि पार्टी लाइन के अनुरूप ट्वीट नहीं करने पर सोशल मीडिया की टीम से जुड़े लोग उनके ट्विटर हैंडल से विरोधी चेहरों और पार्टियों के खिलाफ अपशब्दों तक का इस्तेमाल करते थे.
परिवारवाद को लेकर ममता पर तीखा हमला
अंग्रेजी समाचारपत्र हिंदुस्तान टाइम्स को दिए साक्षात्कार में दिनेश त्रिवेदी ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि वह बहुत ही अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं जो कि संस्कृति के अनुरूप नहीं है. ममता बनर्जी की तरफ से अभिषेक को बढ़ावा दिए जाने को लेकर त्रिवेदी ने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें परिवारवाद से बाहर निकलना चाहिए. इसके लिए उन्होंने बीजेपी और वाम दलों की तारीफ करते हुए कहा कि इन पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व में कोई 'भाई-भतीजा' देखने को नहीं मिलता. उन्होंने भाई-भतीजावाद को असभ्यता की निशानी बताया. उन्होंने अभिषेक का जिक्र करते हुए कहा कि चाहे अभिषेक हो या कोई और अपने चुनावी क्षेत्र में जाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जब हम राजनीति में संघर्ष कर रहे थे तब अभिषेक बनर्जी बच्चे थे. हालांकि, उन्होंने अभिषेक को तेज बुद्धि का भी बताया. अभिषेक बनर्जी की अपमानजनक भाषा को लेकर दिनेश त्रिवेदी ने यह भी कहा कि चूंकि प्रधानमंत्री गुजराती हैं इसलिए यह जरूरी नहीं कि सभी गुजरातियों के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया जाए.
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प्रशांत किशोर ने ट्वीट के जरिये किया अभद्र भाषा का इस्तेमाल
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि पीके की टीम के पास तृणमूल नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड तक हैं लेकिन कई बार मैंने देखा कि अकाउंट से कई बार प्रधानमंत्री और राज्यपाल के लिए अभद्र भाषा वाले ट्वीट किए गए. त्रिवेदी ने बताया कि उन्होंने इन ट्वीट पर न सिर्फ सवाल उठाए बल्कि कई बार उन्हें ट्वीट डिलीट भी करने पड़े. दिनेश त्रिवेदी ने प्रशांत किशोर को हायर किए जाने को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह काफी शर्मनाक है कि खून-पसीने से पार्टी को खड़ा करने वालों को भी करोड़ों रुपये देकर हायर की गई कंपनी का एक कर्मचारी बताता है कि क्या करना है, रैलियों में कैसे बोलना है.
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ममता बनर्जी को घेर रखा है चापलूसों ने
त्रिवेदी ने पुराने दिनों को याद करते हुए आगे कहा कि जब ममता बनर्जी ने अपने दम पर वाम दलों से संघर्ष किया था तब उनके साथ सिर्फ दो महासचिव थे...मुकुल रॉय और मैं. उन्होंने आगे कहा कि सबको समस्या के बारे में जानकारी है लेकिन कहने की हिम्मत किसी में नहीं है कि आज की तारीख में सबसे बड़े दुश्मन 'चापलूस' हैं. 2014 में बीजेपी की बड़ी जीत का श्रेय प्रशांत किशोर को दिए जाने के सवाल पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि रणनीतिकारों की अपनी भूमिका हो सकती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप खुद को और पार्टी को उसके सामने गिरवी रख दें. वे पार्टी की रणनीति नहीं तय कर सकते.
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बीजेपी से जुड़ने के सवाल पर दिखाई रजामंदी
भविष्य में बीजेपी से जुड़ने की संभावना पर उन्होंने का कि बीजेपी में शामिल होना सौभाग्य की बात होगी. बीजेपी दुनिया में नंबर एक पार्टी है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सीताराम येचुरी से लेकर शरद पवार और उद्धव ठाकरे तक सब उनके दोस्त हैं और इस्तीफे के बाद उनकी शरद पवार से मुलाकात भी हुई है. इस्तीफे के बाद पीएम मोदी से बातचीत होने या न होने के सवाल पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि मुझे उनसे बातचीत के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता. कम से कम वह सुनते हैं लेकिन यहां सुनने वाला कोई नहीं था.
HIGHLIGHTS
- अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर पर तीखा हमला
- ममता बनर्जी पर लगाया चापलूसों से घिरने का आरोप
- टीएमसी के शासन में भ्रष्टाचार और हिंसा काफी बढ़ी