कर्नाटक विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद येदियुरप्पा ने जिस तरह से अल्पमत में होने के बावजूद सीएम पद की शपथ ली वैसे में कांग्रेस के लिए ज़रूरी हो गया था कि वो फ्लोर टेस्ट तक अपने सभी विधायकों को साथ रख सकें। कांग्रेस के लिए यह महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी निभाई राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री डी के शिवकुमार ने।
बीजेपी बार-बार कह रही थी कि वो फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर देगी वहीं कांग्रेस अपने सभी विधायकों को बस में बिठाकर कर्नाटक से हैदराबाद घूम रहे थे। कांग्रेस को डर सता रहा था कि बीजेपी उनके विधायकों को तोड़ सकते हैं।
डी के शिवकुमार ने कांग्रेस के लिए संकटमोचन की भूमिका निभाते हुए न केवल सभी विधायकों को साथ रखा बल्कि अपने वादे के मुताबिक लापता दो विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल और आनंद सिंह को आख़िरी समय में पार्टी के साथ ले आए।
कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक यह रहा कि उन्होंने कर्नाटक चुनाव नतीजे के दौरान ही बड़ा दिल दिखाते हुए जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) को मुख्यमंत्री पद का ऑफर देते हुए गठबंधन के लिए राजी कर लिया। इसके बाद भी कांग्रेस की राह आसान नहीं थी। राज्यपाल वजुभाई वाला ने राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को सरकार बनाने का मौक़ा दिया।
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हालांकि एक सच सह भी था कि बीजेपी के पास 224 सीटों में से केवल 104 सीटें ही थी। जबकि कांग्रेस-78 और जेडीएस+(38) गठबंधन के पास कुल 116 सीटें।
बीजेपी के पास बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल ने 15 दिनों का समय दिया था। ऐसे में कांग्रेस-जेडीएस के लिए अपने सभी विधायकों को साथ रख पाना मुश्किल था। कांग्रेस-जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, कहा ऐसे में विधायक की ख़रीद-फरोख़्त हो सकती है।
कोर्ट ने कांग्रेस के तर्क को सही माना और आदेश दिया कि 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट करवाइए। इसके बाद बीजेपी की मुश्किल यह थी कि वो इतनी जल्दी विपक्षी विधायकों को कैसे मनाए जबकि कांग्रेस को डर सता रहा था कि अगर उनके विधायकों ने पाला बदला तो बीजेपी सरकार बना लेगी।
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डीके शिवकुमार कांग्रेस के सभी विधायकों के साथ लगातार बातचीत करते रहे। इतना ही नहीं गायब हुए विधायकों को साथ लाने की भी लगातार पहल करते रहे। आख़िरी समय में डी के शिवकुमार को कामयाबी मिली और उन्होंने अपने दोनों ग़ायब विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल और आनंद सिंह को वापस आपने खेमें में शामिल कर लिया।
बीजेपी आख़िरकार हार गई और विश्वास मत हासिल करने के लिए फ्लोर टेस्ट से पहले ही सीएम येदियुरप्पा ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया। इस तरह डी के शिवकुमार ने एक बार फिर से कांग्रेस की साख बचा ली।
आपको याद होगा इससे पहले गुजरात राज्यसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल की जीत को लेकर पार्टी संशय में थी तब भी यह डी के शिवकुमार ही थे जिन्होंने पार्टी को टूटने से बचा लिया था।
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डी के शिवकुमार ने कांग्रेस के 44 विधायकों को बेंगलुरू के इसी इग्लेटन गोल्फ रिसोर्ट में रखा जहां कर्नाटक फ्लोर टेस्ट के दौरान भी रखा था। इस बार की तरह पिछली बार भी शिवकुमार ने कांग्रेस के लिए जीत का मार्ग प्रशस्त किया।
डी के शिवकुमार कर्नाटक की राजनीति में कांग्रेस का बड़ा नाम है। इससे पहले सिद्धारमैया सरकार के दौरान शिवकुमार ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं। हालांकि कनकपुरा विधानसभा से विधायक शिवकुमार पर भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं।
साल 2015 में कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दाख़िल की गई जिसमें शिवकुमार और उनके परिवार पर अवैध खनन में शामिल होने का आरोप लगा। इसी साल शिवकुमार और उनके भाई डी के सुरेश पर 66 एकड़ जमीन पर कब्जाने का भी आरोप लगा था।
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Source : Deepak Singh Svaroci