पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ और देश भर के किसानों से वादा किए गए फसलों की बेहतर कीमत तथा कर्ज माफी की मांग को लेकर वाम दलों ने शुक्रवार को 10 सितंबर को राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा की है। इसी दिन कांग्रेस पार्टी ने भी 'भारत बंद' की घोषणा की है। पांच वाम दलों ने एक संयुक्त बयान में यह घोषणा की, जिसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(सीपीएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)-लिबरेशन, आरएसपी और सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (एसयूसी) शामिल हैं।
वाम दलों ने मोदी सरकार पर देश में आर्थिक संकट पैदा करने और चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया, जिसमें काले धन की वसूली और रोजगार देने का वादा किया गया था।
बयान में कहा गया है, 'पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण हर चीज महंगी हो रही है और करोड़ों भारतीयों की आजीविका प्रभावित हो रही है। इससे आगे आर्थिक मंदी पैदा होगी और रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं होंगे और वर्तमान में जो रोजगार मिला है, वह भी कम हो जाएगा।'
वाम दलों ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार ने किसानों को फसलों का सही मूल्य नहीं दिलाया, जो उसने वादा किया था और न ही कृषि ऋण में छूट दी। लेकिन पिछले चार सालों में कॉर्पोरेट घरानों के 4,00,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए।
उन्होंने आरोप लगाया, 'इस प्रकार का सांठ-गांठ वाला पूंजीवाद और भी कई सौदों में नजर आया। जैसे राफेल लड़ाकू विमान खरीद घोटाला, जिसका तेजी से खुलासा हो रहा है। इस सौदे के बारे में हर जानकारी छुपाई जा रही है, जिससे इसमें घोटाला होने की पुष्टि होती है। सरकार ने काला धन वसूल कर लाने का वादा किया था, जबकि उसे सफेद बनाने की स्कीम लागू कर दी गई।'
वाम मोर्चा के अध्यक्ष विमान बोस ने शुक्रवार को 10 सितंबर को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक 12 घंटों की बंद का आह्वान किया।
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सीपीएम की पश्चिम बंगाल इकाई के महासचिव सूर्यकांत मिश्रा ने बीजेपी-नीत केंद्र सरकार पर कामकाजी वर्ग के लोगों की आजीविका नष्ट करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार लगातार दैनिक जरूरी चीजों के दाम में इजाफा करते जा रही है।
Source : IANS