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‘मेरा बेटा सेना दिवस पर पैदा हुआ और सेना के लिए ही न्यौछावर हो गया’, बोलते-बोलते बिलख पड़ीं शहीद कैप्टन थापा की मां

कैप्टन बृजेश थापा डोडा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए. उनके परिवार की तीन पीढ़ियां सेना में सेवा दे चुकी हैं. बृजेश के पिता भी कर्नल पद से रिटायर हुए हैं.

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Publive Team
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Captain Brijesh Thapa Story

Captain Brijesh Thapa Story ( Photo Credit : Social Media)

मेरे बेटे का जन्म आर्मी-डे के दिन हुआ था और देखिए, वह आर्मी के लिए ही समर्पित हो गया…यह कहना है कैप्टन बृजेश थापा की मां का, जिनका लाल जम्मू-कश्मीर के डोडा में मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गया. थापा के साथ सेना के चार और राज्य पुलिस के एसओपी के एक जवान भी शहीद हुआ है. दरअसल, डोडा में शनिवार रात घने जंगलों के बीच आतंकियों के साथ मुठभेड़ में कुल पांच जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे. थापा महज 26 साल के थे. वे दार्जिलिंग के बड़े गिंग बाजार के रहने वाले थे. उनकी तीन पीढ़ियां सेना में सेवा दे चुकी हैं. बृजेश के पिता भी रिटायर्ड कर्नल हैं.

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सेना बहुत पसंद थी: मां 

बता दें, थापा 2019 में अपनी ट्रेनिंग पूरी करके कमीशंड हुए थे. 10 राष्ट्रीय राइफल्स में दो साल के लिए उनकी तैनाती हुई थी. थापा के शहीद होने की खबर से दार्जिलिंग की घाटी में शोक पसर गया है. कैप्टन की मां निलिमा थापा का कहना है कि मेरा बेटा 15 जनवरी को पैदा हुआ था. 15 जनवरी को आर्मी-डे मनाया जाता है. मेरा बेटा सेना दिवस के दिन पैदा हुआ और सेना के लिए न्यौछावर हो गया. उसे सेना बहुत पसंद थी. उसके पापा ने कहा था कि सेना बहुत कठिन हैं, नौसेना ज्वाइन कर लो लेकिन उसका सपना तो सेना ही था.   

उन्होंने कहा कि बृजेश मार्च में घर आया था. वह इस महीने दोबारा आने वाला था. रविवार को आखिरी बात हुई थी. वह बहुत खुश था. उसे सादा खाना बहुत पसंद था. पहले हलवा बहुत खाता था फिर छोड़ दिया. कहता था मीठा खाने से मोटा हो जाऊंगा.

कभी मैं भी अफसर बनूंगा और आगे बैठूंगा: पिता 

बृजेश के पिता कर्नल भुवनेश थापा ने कहा कि रविवार को आखिरी बार बात हुई थी. कह रहा है कि पहाड़ से उतरकर बेस पर आए हैं. वहां बहुत बारिश है पर उस रात उसे 7 घंटे की चढ़ाई करनी थी, शायद कोई काम होगा. वह पांच साल से सेना में सर्विस कर रहा है. हमेशा कहता था, आप जैसा बनूंगा. मैं फौजी गाड़ी में आगे बैठता था तो वह कहता था कि कभी मैं भी अफसर बनूंगा और आगे बैठूंगा. उसने बीटेक किया हुआ है. मैंने कहा कि कहीं और नौकरी कर लो पर उसने अपने शौक और सपने को चुना. वह मेरी जैकेट पहनकर घूमता था. अपने पैतृक गांव में ही हम अपने बेटे का अंतिम संस्कार करेंगे. 

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Source : News Nation Bureau

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