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कोरोना के वायरस पहचानने में सेना की मदद कर रहे कुत्ते

'कॉकर स्पेनियल' दो साल का है और इसका नाम कैस्पर है, और 'छिप्पीपराई' एक साल का है और इसका नाम जया है. अब तक चंडीगढ़ और छत्तीसगढ़ में लगभग 3,806 सैनिकों की कोविड जांच की गई और इन कुत्तों की मदद से 22 नमूने सकारात्मक पाए गए हैं.

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Shailendra Kumar
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Army canines can detect Covid virus in real time situation

कोरोना के वायरस पहचानने में सेना की मदद कर रहे कुत्ते( Photo Credit : IANS)

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कोविड महामारी के प्रकोप से उबरने के लिए दुनिया शिद्दत से प्रयास कर रही है. कुछ देशों में इसकी वैक्सीन आने के बावजूद अभी इसका खतरा पूरी तरह टला नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की एक टीम इस वायरस की उत्पत्ति के बारे में पता लगाने के लिए इन दिनों वुहान में है, वहीं दूसरी ओर भारत में सेना ने इस बीमारी के वायरस का पता लगाने के लिए दो कुत्तों को प्रशिक्षित किया है ताकि समय रहते इसकी भनक लगने पर जवानों की आवाजाही के बाबत उन्हें सजग किया जा सके. 'छिप्पीपराई' और 'कॉकर स्पेनियल' नाम के दो कुत्तों को आर्मी ने प्रशिक्षित किया है. उन्हें दिल्ली ओर छत्तीसगढ़ में सेना के ट्रांजिट कैंपों में तैनात किया गया है.

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'कॉकर स्पेनियल' दो साल का है और इसका नाम कैस्पर है, और 'छिप्पीपराई' एक साल का है और इसका नाम जया है. अब तक चंडीगढ़ और छत्तीसगढ़ में लगभग 3,806 सैनिकों की कोविड जांच की गई और इन कुत्तों की मदद से 22 नमूने सकारात्मक पाए गए हैं.

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यह सब कैसे शुरू हुआ - इस बारे में मेरठ स्थित रिमाउंट वेटनरी कोर के प्रशिक्षक लेफ्टिनेंट कर्नल सुरिंदर सैनी ने आईएएनएस को बताया कि कैंसर, मलेरिया, मधुमेह, पार्किन्संस जैसी विभिन्न बीमारियों के लिए कुत्तों की मदद को लेकर वैश्विक रुझान को देखने के बाद भारतीय सेना ने कोविड-19 का पता लगाने के लिए चिकित्सा खोजी कुत्तों का उपयोग करने का परीक्षण किया.

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इसके बाद मूत्र और पसीने के नमूनों से कोविड-19 बीमारी का पता लगाने के लिए 'छिप्पीपराई' और 'कॉकर स्पेनियल' की देशी नस्ल को प्रशिक्षित करने का ठोस प्रयास किया गया. लेफ्टिनेंट कर्नल सुरिंदर सैनी ने कहा कि प्रशिक्षण के उद्देश्य से सैन्य अस्पताल, मेरठ कैंट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुभारती मेडिकल कॉलेज से सकारात्मक और संदिग्ध नमूने लिए गए.

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इन दोनों कुत्तों को सकारात्मक रोगियों के पेशाब और पसीने के नमूनों से निकलने वाले विशिष्ट बायोमार्कर पर सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया था. वैज्ञानिक रूप से यह स्पष्ट है कि प्रभावित ऊतक अद्वितीय वाष्पशील चयापचय बायोमार्कर छोड़ते हैं जो कि मेडिकल डिटेक्शन कुत्तों द्वारा रोग का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है. प्रशिक्षण के बाद कुत्तों को पहली बार दिल्ली में एक ट्रांजिट कैंप में तैनात किया गया और उनकी मदद से 806 सैनिकों की स्क्रीनिंग की गई.

Source : IANS/News Nation Bureau

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