रविवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बेटे उत्कर्ष तथागत की शादी में एक सरल सादगी देखने को मिली। शादी में न कोई बैंड बाजा और न कोई बारात देखने को मिली। यह शादी समाज को दहेज न लेने और फिजूलखर्च न करने का एक संदेश दे गई।
रविवार को यह अनोखी शादी थी और हर नेग, हर रस्म के साथ संदेश देती गई। दो घंटे तक शादी का समारोह चला। पटाखे नहीं छूटे। बैंड नहीं बजा। अतिथियों को भोज नहीं दिया गया।
सादगी भरे समारोह में सात फेरों के बाद उत्कर्ष और यामिनी एक दूजे के हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने फोन पर वर-वधू को आशीर्वाद दिया।
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वेटनरी कॉलेज के मैदान में ई-निमंत्रण से बुलाए गए आम और खास अतिथियों ने दो घंटे तक बारीकी से मंच को निहारा। विवाह की रस्में जिस तरीके से संपन्न कराई जा रही थीं, नयापन था।
वैदिक मंत्रों के साथ रमेश जोशी की टीम ने दो घंटे से कम ही समय में शादी की सभी रस्में संपन्न करा दीं। संगीतमय माहौल था। सात साल पहले ही सुशील कुमार मोदी ने एक विशेष शादी समारोह को देखकर तय कर लिया था कि वे अपने बेटे की शादी कुछ ऐसी ही कराएंगे।
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बड़े पुत्र उत्कर्ष पटना के वेटनरी ग्र्राउंड मैदान के समारोह में यामिनी के साथ परिणय सूत्र में बंधे। इसे आप थीम शादी कह सके हैं। दहेज नहीं लिया गया। बरात नहीं निकली। फिजूलखर्ची नहीं हुई। उपहार नहीं लिए गए। भोज नहीं दिया गया।
अगर किसी को गिफ्ट देने का मन किया, तो उसने देह दान और अंग दान के संकल्प लिए। अतिथियों के स्वागत में जुटे सुशील कुमार मोदी रोज की तरह की अपने पारंपरिक कपड़ों में थे। बेटे उत्कर्ष ने खादी का कुर्ता-पायजामा पहन रखा था। वधू जरूर लहंगे में थी।
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Source : News Nation Bureau