उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में पिछले साल बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से हुई 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताज़ा बयान को नोडल अधिकारी डॉ कफील ने झूठा करार दिया है। डॉ कफील ने कहा सीएम योगी लोगों के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। डॉ कफील ने कहा, 'योगी जी राजनीति कर रहे हैं और लोगों को मुद्दे से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। कफील ने आगे कहा, 'सीएम ने जो कुठ भी कहा है वह पूरी तरह से ग़लत है। इस घटना में कई नवजात शिशु भी मारे गए थे। नवजात बच्चे को इंसेफेलाइटिस यानी कि जापानी बुख़ार नहीं होता है। इस संदर्भ में ऑक्सीजन सप्लायर ने अस्पताल के अधिकारियों को ख़त लिखकर बकाया राशि अदा करने को कहा था।'
What CM has said is incorrect.Many newborns also died in the incident, newborns don’t get Encephalitis.The supplier of oxygen had written to hospital authorities to clear his dues,to cont. oxygen supply: Dr Kafeel Khan on UP CM’s remark ‘infants didn’t die due to lack of oxygen’ pic.twitter.com/jzA51XKpme
— ANI UP (@ANINewsUP) August 27, 2018
गौरतलब है कि शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सफाई देते हुए कहा कि यह कॉलेज की आतंरिक राजनीति की घटना थी। योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'मैंने रिपोर्ट मंगवाने के बाद वहां का दौरा किया। वहां जब लोगों से मैंने पूछा कि क्या मामला है तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी मामला नहीं है। और अगर ऑक्सीजन की कमी से मौत होती तो सबसे पहले वे बच्चे मरते जो वेंटिलेटर पर हैं। वे बच्चे आज भी वैसे ही हैं आज उनके स्वास्थ्य में सुधार है।'
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उन्होंने कहा, 'मैंने कहा, कोई बात तो जरूर होगी। ये आंकड़ें कहां से आए हैं? पता लगा कि वहां की आंतरिक राजनीति और निगेटिव समाचार के जरिये इस केस से जुड़े हुए लोगों को अलग करती है। हमें वहां पर चिकित्सकों की काउंसलिंग करनी पड़ी कि आप चिंता मत करिए आप कार्य करिये। अगर आप अंत:करण से साफ हैं तो फिर आप इस प्रकार के चीजों की चिंता मत करिए।'
बता दें कि पिछले साल 10 और 11 अगस्त को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों की मौत के मामले में मुख्य सचिव राजीव कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा था। उन्होंने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा की अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन को पद से हटा दिया गया था।
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उस समय भी मुख्यमंत्री और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पहले इस मामले पर पर्दा डालने की पुरजोर कोशिश के तहत बयान दिया था कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से नहीं, बल्कि इन्सेफेलाइटिस से हुई थी। वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस घटना को तरजीह न देते हुए बयान दिया था कि इतने बड़े देश में ऐसी घटनाएं तो होती रहती हैं।
इस मामले में सरकार की एक समिति ने 23 अगस्त 2017 को रिपोर्ट जमा कर अस्पताल के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा, डॉ सतीश, एईएस वार्ड के इंचार्ज डॉ कफील खां और पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने को कहा था।
24 अगस्त को राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला, कफील खां और पुष्पा सेल्स के अधिकारियों सहित 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसके बाद 2 सितंबर 2017 को डॉ कफील को गिरफ्तार किया गया था और साथ ही अस्पताल में उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था।
आठ महीने जेल में बंद रहने के बाद डॉ कफील खां जेल से बाहर आए थे। डॉ कफील को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में जमानत दी थी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीते साल अगस्त महीने में मरने वालों की संख्या 400 से भी ज्यादा थी।
Source : News Nation Bureau