रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पास इतनी क्षमता विकसित हो गई है कि वह भारतीय सशस्त्र बलों की मांग के अनुरूप मिसाइल (Missile) बनाकर दे सकता है. यानी जरूरत के अनुरूप जैसी मिसाइल सुरक्षा बल चाहेंगे, उन्हें बनाकर दे दी जाएगी. गौरतलब है कि बीते 40 दिनों में ही एक के बाद एक, करीब 10 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया जा चुका है. यह उपलब्धि डीआरडीओ की क्षमता को ही प्रदर्शित करती है. डीआरडीओ ने पिछले पांच हफ्तों में जिन मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है, उनमें शौर्य, ब्रह्मोस, पृथ्वी, रुद्रम 1 और टॉरपीडो वेपन सिस्टम शामिल हैं.
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5-6 साल में आत्मनिर्भर बना भारत
डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा, 'भारत पिछले पांच-छह सालों में मिसाइल सिस्टम के क्षेत्र में जितना आगे बढ़ा है, उससे हमें मिसाइलों को क्षेत्र में संपूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल हो चुकी है.' जब उनसे पूछा गया कि क्या अब सेना को विदेशों से मिसाइल सिस्टम का आयात नहीं करने की जरूरत है तो उन्होंने आगे कहा, 'सशस्त्र बलों को जरूरत के मुताबिक हम अब किसी भी तरह की मिसाइल विकसित करने में सक्षम हैं.' उन्होंने कहा कि मिसाइल निर्माण क्षेत्र की प्राइवेट कंपनियां भी उच्चस्तरीय हो चुकी हैं. उन्होंने कहा, 'वह अब हमारे साथ साझेदारी करने में सक्षम हो गई हैं. वह हमारे से मिसाइल बना सकती हैं और हमारी जरूरतों के मुताबिक बना सकती हैं.'
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कोविड-19 में भी नहीं रुके वैज्ञानिक
जब उनसे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की हरकतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डीआरडीओ भारत की सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की दिशा में कठिन परिश्रम कर रहा है. रेड्डी ने कहा, 'हम इसे अपना दायित्व समझते हैं, इसलिए डीआरडीओ कई वेपन सिस्टम पर काम कर रहा है. उन पर कोविड-19 के दौरान भी हमारे वैज्ञानिक लगातार काम करते रहे. सभी सिस्टम पर अच्छा काम हुआ है और जैसे ही ये तैयार हो जाएंगे, हम इनका ट्रायल कर लेंगे.' उन्होंने कहा कि कई सिस्टम तो बन चुके हैं और पिछले डेढ़ महीने में उनकी टेस्टिंग भी हो चुकी है.
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आत्मनिर्भरता की तरफ कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान में डीआरडीओ के योगदान के बारे में पूछे जाने पर रेड्डी ने कहा कि संगठन ने देसी सिस्टम तैयार करने के लिए कई मोर्चों पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, 'अब मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम काफी सशक्त हैं और मिसाइल, राडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, टॉरपीडो, गन तथा कम्यूनिकेशन सिस्टम समेत तमाम सैन्य उपकरणों के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुके हैं.'