दिल्ली छावनी में स्वदेशी नवाचार प्रदर्शनी में डीआरडीओ और भारतीय सेना के सहयोग से बनाई गई 9 mm मशीन गन लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। अस्मी नाम का यह मशीन गन 100 फीसदी स्वदेशी है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, भारतीय सेना और इन्फैंट्री स्कूल महू ने मिलकर बनाया है. माना जा रहा है कि इस पिस्टल का उपयोग नजदीकी मुकाबले और वीआईपी सिक्योरिटी के लिए आतंकरोधी मिशन में इस्तेमाल किया जाएगा। भारतीय आर्मी ने इसके लिए पेटेंट भी फाइल कर दिया है। इसके साथ ही इसे बड़े पैमाने पर निर्माण करने के लिए पार्टनर की तलाश की जा रही है।
50 हजार रुपए से भी कम है उत्पादन लागत
इस 9 मिमी मशीन गन की खास बात ये है कि इसकी उत्पादन लागत 50 हजार रुपए से भी कम है। इसे थ्रीडी प्रिंटिंग डिजाइनिंग की भी मदद तैयार किया गया है। इसे लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद बंसूद ने डिजाइन किया है। बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने के बाद उसे दूसरे देशों को निर्यात करने की भी योजना है। इस मशीन गन की और खास बात ये है कि इसे तैयार करने में मात्र चार महीने लगे। इसे आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट और आर्मी इन्फैंट्री स्कूल, महू ने मिलकर तैयार की है.
मात्र 1.80 किलोग्राम है वजन
इस स्वदेशी 9 मिमी मशीन गन का वजन मात्र 1.80 किलोग्राम है। दरअसल, इस गन का ऊपरी हिस्सा एयरक्राफ्ट ग्रेड के एल्यूमिनियम से बना है, जबकि निचला हिस्सा कार्बन फाइबर से बनाया गया है. जिसे बिना थके आसानी लेकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। यह मशीन गन खास तौर से पहाड़ों पर तैनात आर्मी के जवानों के लिए बहुत ही सुविधाजनक मानी जा रही है। इसके ऊपर दुनिया के किसी भी तरह के माउंट लगाए जा सकते हैं. चाहे वो किसी भी तरह का टेलीस्कोप, बाइनोक्यूलर या लेजर बीम क्यों न हो.
ये हैं खूबियां
इस स्वदेशी मशीन गन का नाम अस्मि . जिसका अर्थ है गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत. यह स्वदेशी मशीन गन 100 मीटर की रेंज तक यह पिस्टल सटीक निशाना लगा सकती है. इसकी मैगजीन में स्टील की लाइनिंग लगी है यानी यह गन में अटकेगी नहीं. इसकी मैगजीन को पूरा लोड करने पर 33 गोलियां आती हैं.
HIGHLIGHTS
- भारत का पहला स्वदेशी मशीन गन सेवा के लिए है तैयर
- डीएरडीओ और भारतीय सेना ने मिलकर किया है तैयार
- अब बड़े पैमाने पर किया जाएगा उत्पादन
Source : News Nation Bureau