DRDO sanctions 7 new projects: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) लगातार देश की ताकत में इजाफा करने में जुटा हुआ है. वो जल, थल और नभ हर मोर्चे पर सुरक्षा बलों के लिए हथियार बना रहा है. डीआरडीओ ने हाल ही में एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम (Rudram), हल्के वजनी जोरावर टैंक, ITCM क्रूज मिसाइल को लॉन्च किया है. बीते समय में भी डीआरडीओ ने ऐसे कई घातक हथियार सेना को सौंपे हैं. अब DRDO ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए आर्म्ड फोर्सेस, एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर के लिए 7 नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है, जो चीन-पाकिस्तान की टेंशन बढ़ाएंगे.
डीआरडीओ ने टेक्नॉलोजी डेवलपमेंट फंड स्कीम के तहत प्राइवेट सेक्टर को इन 7 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है, जिनका उद्देश्य डिफेंस-एयरोस्पेस सेक्टर में इंडस्ट्रीज् विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना है. ये प्रोजेक्ट्स देश में मिलिट्री इंडस्ट्रीयल इको सिस्टम को और मजबूती प्रदान करेंगे. आइए जानते हैं कि डीआरडीओ ने किन 7 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है और किन कंपनियों को इनको बनाने का काम सौंपा गया है. ये प्रोजेक्ट्स कंप्लीट होने पर क्या-क्या काम करेंगे. आइए जानते हैं--
1- स्वदेशी सेंसर सिमुलेशन टूलकिट
स्वदेशी सेंसर सिमुलेशन टूलकिट के जरिए पायलटों को सिम्युलेटर ट्रैनिंग देने के लिए बनाया जाएगा. इसकी मदद से पूरे मिशन की प्लानिंग बनाने में मदद मिलेगी. साथ ही मिशन में अधिक-अधिक सैन्य ताकत का इस्तेमाल किया जा सकेगा. इस प्रोजेक्ट का काम नोएडा की स्टार्ट-अप ऑक्सीजन 2 इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है.
2- अंडरवाटर लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल
यह समुद्री युद्धक्षेत्र में एक सहायक उपकरण है. यह व्हीकल लड़ाई के मोर्चे पर तैनात किया जा सकेगा. यह खुफिया, निगरानी और टोही का काम करेगी. इतना ही नहीं ये व्हीकल मरीटाइम डोमेन अवयरनेंस के रूप में भी काम करेगा. पुणे स्थित सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को इसे बनाने का जिम्मा सौंपा गया है.
3- लॉन्ग रेंज रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स फॉर डिटेक्शन एंड न्यूट्रलाइजेशन
यह व्हीकल डुअल-यूज सिस्टम है, जो पानी के नीचे की वस्तुओं को पता लगाने, उनका क्लासिफिकेशन, लोकेलाइजेशन और न्यूट्रलाइजेशन कर सकेगा. यह प्रोजेक्ट कोच्चि की स्टार्ट-अप आईआरओवी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है.
4- डेवलपमेंट ऑफ आइस डिटेक्शन सेंसर फॉर एयरक्राफ्ट
इस प्रोजेक्ट का मकसद उड़ान के दौरान बर्फ जमने की स्थिति का पता लगाना है, जो विमान की बाहरी सतहों से टकराने के बाद जम जाने वाली सुपर कूल्ड पानी की बूंदों के कारण होती है और विमान के एंटी-आइसिंग मैकेनिज्म को चालू करने के लिए उपयोग की जाती है. इसे बेंगलुरु की क्राफ्टलॉजिक लैब्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है.
5- डेवलपमेंट ऑफ राडार सिंग्नल प्रोसेसर विद एक्टिव एंटीना ऐरे सिम्युलेटर
इस प्रोजेक्ट्स की मदद से शॉर्ट रेंज एरियल वेपन सिस्टम का परिक्षण किया जा सकेगा. साथ ही दुश्मन देश के हथियारों को भी पता लगाया जा सकेगा. यह लार्ज राडार सिस्टम के लिए बेसिक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में काम करेगा. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा चेन्नई की डेटा पैटर्न (इंडिया) लिमिटेड को दिया गया है.
6- डेवलपमेंट ऑफ इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम बेस्ड टाइमिंग एक्जिसन एंड डिसिमिनेशन सिस्टम
यह प्रोजेक्ट बेंगलुरु की एकॉर्ड सॉफ्टवेयर एंड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है. इससे भारतीय स्थितियों के अनुसार एक सटिक टाइमिंग प्रणाली को डेवलप करना है.
7- डेवलपमेंट ऑफ ग्राफीन बेस्ड स्मार्ट एंड ई-टेक्सटाइल फॉर मल्टीफंक्शनल वियरेबल एप्लिकेशंस
कोयंबटूर की अलोहाटेक प्राइवेट लिमिटेड को इस प्रोजेक्ट की मंजूरी दी गई है. यह ग्राफीन नैनोमटेरियल और कंडक्टिव इंक का इस्तेमाल करके कंडक्टिव यार्न और फैब्रिक बनाने की प्रक्रिया को डेवलेप करेगा.
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Source : News Nation Bureau