लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के दिल्ली के 21 विधायकों पर चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इन विधायकों पर चुनाव आयोग ने सुनवाई पूरी कर ली है, लेकिन अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि आयोग फैसला कब तक सुनाएगा। इन विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज की गई थी।
22 मार्च को इन विधायकों ने चुनाव आयोग में अपनी दलील पेश की थी।
क्या है मामला
दिल्ली में कुल 70 विधायक हैं, जिनमें से 10 फीसदी ही मंत्री बन सकते हैं, जिसके अनुसार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी, 2015 में छह मंत्रियों के साथ सरकार बनाई।बाद में एक महीने के भीतर ही केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त कर दिया, जिसके लिए उपराज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई।
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19 जून 2015 को प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने राष्ट्रपति के पास 'आप' के इन 21 संसदीय सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन दिया।
हाईकोर्ट कर चुका है दिल्ली सरकार की सभी दलीलों को खारिज
हाईकोर्ट में 'आप' सरकार ने जितनी भी दलीलें इससे पहले दी थी वह सभी कोर्ट ने खारिज कर दिया। सरकार की तरफ से शीला दीक्षित तथा मदनलाल खुराना द्वारा संसदीय सचिवों की नियुक्ति के बारे में कहा गया जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इन सरकारों ने राज्यपाल की अनुमति ली थी।
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आप सरकार की तरफ से अन्य राज्यों के उदाहरण भी दिए गए जिसे हाईकोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया।
दिल्ली सरकार के अनुसार संसदीय सचिवों को कोई भी आर्थिक लाभ नहीं दिया जा रहा था साथ ही इन विधायकों के माध्यम से विकास कार्यों को गति मिल रही थी।
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Source : News Nation Bureau