आर्थिक सर्वेक्षण में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत गोल्ड पर कर की दर को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण के लेखक मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सोने पर जीएसटी की दर महज तीन फीसदी है, जो काफी कम है जबकि अधिकांश तौर पर इसका इस्तेमाल अमीरों के द्वारा किया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण भाग दो 2016-17 को शुक्रवार को सदन के पटल पर रखा गया था। इसमें कहा गया है, 'सोने और आभूषण उत्पादों पर कर -जो कि बहुत ही अमीर लोगों द्वारा खपत की जाती है- तीन फीसदी है, जो अभी भी कम है।'
दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर कर लगाने की आवश्यकता थी। इसमें कहा गया है, 'स्वास्थ्य और शिक्षा को पूरी तरह से बाहर रखना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि इन सेवाओं का अमीर लोगों द्वारा बेहिसाब इस्तेमाल किया जाता है।'
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स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र देश में पूरी तरह से कर दायरे से बाहर है। इन क्षेत्रों को जीएसटी के तहत भी छूट दी गई है और केंद्र और राज्य सरकारें भी इन पर कोई कर नहीं लगाती हैं।
शराब, पेट्रोलियम, ऊर्जा उत्पाद, बिजली और कुछ स्थानों पर जमीन और रियल एस्टेट लेनदेन को जीएसटी से बाहर रखा गया है। लेकिन इन पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कर लगाती हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है, 'जीएसटी ढांचे में बिजली को रखने से भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा।'
आर्थिक सर्वे ने कहा है, 'जीएसटी में जमीन व रियल एस्टेट और शराब को शामिल करने से पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार कम होगा।' सर्वेक्षण में कहा गया है कि आने वाले महीनों में जीएसटी परिषद को इन मुद्दों को उठाना होगा।
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HIGHLIGHTS
- आर्थिक सर्वेक्षण में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत गोल्ड पर कर की दर को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
- मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सोने पर जीएसटी की दर महज तीन फीसदी है, जो काफी कम है
Source : News Nation Bureau