प्रवर्तन निदेशालय ने वित्तीय धोखाधड़ी के एक मामले में गुरुवार को सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हर्ष मंदर के आवास और कार्यालयों पर छापेमारी कर रहा है. उनके गैर सरकारी संगठन के कामकाज में वित्तीय अनियमितता को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए देश की प्रमुख वित्तीय जांच एजेंसी छापेमारी कर रही है. यह डेवलपमेंट मंदर और उनकी पत्नी के नौ महीने की फेलोशिप के लिए जर्मनी जाने के कुछ घंटों बाद आया है. दिल्ली पुलिस ने मंदर के एनजीओ सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज और दो चिल्ड्रन होम उम्मेद अमन घर और खुशी रेनबो होम के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
यह राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सिफारिश पर आधारित था, जब बाल अधिकार निकाय ने निरीक्षण के दौरान प्रबंधन की ओर से विभिन्न उल्लंघनों और विसंगतियों को पाया. अपने निरीक्षण के दौरान एनसीपीसीआर ने पाया था कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और इसके मॉडल नियम, 2016 के कई उल्लंघन और वित्तीय अनियमितताओं सहित कई अन्य अनियमितताएं हैं.
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एनसीपीसीआर ने यह भी आरोप लगाया था कि निरीक्षण के समय घरों में से एक का पंजीकरण समाप्त हो गया था. कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे को अपर्याप्त पाया गया था और विदेशी नागरिकों को रोजगार और पर्यटक वीजा पर घरों में स्वैच्छिक सेवाएं देने की अनुमति दी गई थी. आयोग ने यह भी आरोप लगाया कि पोक्सो अधिनियम, 2012 के प्रावधानों का घोर उल्लंघन हुआ है. इसमें कहा गया है कि कर्मचारियों में से एक ने उन्हें वहां बाल यौन शोषण के मामलों और प्रबंधन द्वारा निष्क्रियता के बारे में सूचित किया था.
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आगे की जांच के लिए मामले की सूचना तुरंत दिल्ली पुलिस को दी गई. एनसीपीसीआर ने दोनों घरों में किशोर न्याय अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कलिंग राइट्स फोरम से एक शिकायत मिलने के बाद निरीक्षण किया था. शिकायत के अनुसार, मंदर के एनजीओ को 'भारी धन' प्राप्त हो रहा था, जिसका उपयोग 'धार्मिक रूपांतरण जैसी अवैध गतिविधियों के लिए' किया जा रहा था. अक्टूबर 2020 में एनसीपीसीआर ने निरीक्षण किया था.