देशभर में ईडी की कार्रवाइयों को लेकर इन दिनों राजनीति चरम है. केंद्र सरकार पर विपक्ष की ओर से विरोधियों को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल के आरोप लग रहे हैं. इसमें कुछ हद तक सच्चाई भी है, क्योंकि, केंद्रीय एजेंसियों की एक भी कार्रवाई भाजपा नेताओं के खिलाफ नहीं हो रही है. यही वजह है कि विपक्ष की ओर से यहां तक कहा जा रहा है कि भाजपा वाशिंग मशीन है, जहां भ्रष्टों के जाते ही वह पाक-साफ हो जाता है और उसे सजा देने के बजाए उहार में बड़े-बड़े पदों से नवाजा जाता है. इसमें सबसे बड़ा नाम असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा का है, जब वे कांग्रेस की गोगोई सरकार में मंत्री हुआ करते थे, तब उनके खिलाफ भाजपा ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सत्ता में आने पर जेल भेजने की बात कही थी. लेकिन, भाजपा आने के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होना तो दूर, उल्टे उसे असम का मुख्यमंत्री बना दिया गया. इस बीच एक सवाल तेजी के साथ घूम रहा है कि ईडी अपने छापे में जो रुपए जब्त करती है, उसका होता क्या है.
दरअसल, पिछले तीन महीनों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक के बाद एक कई बड़ी छापेमारी को अंजाम दिया है. इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों और लोगों के पास से करीब 100 करोड़ रुपए कैश ईडी ने जब्त किए. कोलकाता के एक व्यापारी के ठिकानों पर शनिवार को मारे गए छापे हो या बंगाल में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी का मामला हो. इन सभी में ईडी एक कॉमन फैक्टर है. कार्रवाइयों में ईडी ने करीब 100 करोड़ रुपए कैश जब्त किए. ईडी ने शनिवार को कोलकाता में एक व्यापारी के घर से 17 करोड़ रुपए से ज्यादा नकदी जब्त की. इस कारोबारी पर आरोप है कि उसने मोबाइल गेमिंग ऐप के जरिए धोखाधड़ी कर ये रकम जुटाई थी. इससे पहले पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के दौरान ईडी ने पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से 41 करोड़ रुपए की नकदी और ज्वैलरी बरामद की थी. इस सभी जगहों से इतनी बड़ी मात्रा में कैश मिली थी कि गिनती के लिए बैंकों से नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी थी.
ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल कौंधता है कि इतने बड़े पैमाने पर कैश जब्त करने के बाद ईडी इसका करती क्या है? तो आइए हम आपको बताते है कि ईडी इन रुपयों का क्या करती है. दरअसल, कानून के मुताबिक ED को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों से रुपए और धन जब्त करने की अनुमति है, ईडी इन पैसों को अपने पर्सनल खाते (PD) में जमा भी होता है. हालांकि, ईडी को इन पैसों को इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है. दरअसल, छापेमारी और जब्ती के बाद आरोपी को पैसे के स्रोत बताने और वैध कमाई होने के सबूत देने का मौका दिया जाता है. इस दौरान जब तक ईडी की कार्रवाई से जुड़ा केस चलता है, तब तक ये पैसे ED के खाते में ही पड़ा रहता है.
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अदालती कार्रवाई में जब आरोपी अपनी आय का स्रोत साबित कर देता है और अगर कोर्ट आरोपी को बरी कर देता है तब तो उसे ये रकम वापस लौटा दी जाती है. वहीं अगर आरोपी केस हार जाता है. यानी वह अपनी आय का स्रोत कोर्ट में साबित नहीं कर पाता है तो इस रकम को गलत तरीके से अर्जित किए गए धन के दायरे में रख दिया जाता है. हालांकि, इस दौरान इस रकम पर ईडी का दावा नहीं होता. ऐसे में सवाल उठता है कि तो फिर ये रकम किसका होता है? दरअसल, जब आरोपी पकड़े गए कैश और आय का सोर्स नहीं बता पाता है, तब इस रकम पर केन्द्र सरकार का दावा होता है. लिहाजा, जब्त किए गए रकम को केन्द्र सरकार के खजाने में जमा कर दिया जाता है.
Source : News Nation Bureau