रमजान उल मुबारक महीने का 30वां रोजा रोजेदारों ने रविवार को मुकम्मल किया. साथ ही ईद के चांद (Moon) का दीदार हुआ. देशभर में सोमवार को ईद-उल-फित्र (Eid al-Fitr) का त्योहार मनाया जाएगा. दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि ईद का चांद दिख गया है और देश में 25 मई को ईद मनाई जाएगी.ईद की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देशवासियों को इस पर्व के लिये बधाई दी.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों को ईद की दी बधाई
राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संदेश में लोगों से कहा कि सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने का संकल्प लें और कोरोना वायरस की चुनौती से जल्द पार पाने व सुरक्षित रहने के लिए अन्य सभी एहतियात बरतें. कोविंद ने कहा, “यह त्योहार प्रेम, शांति, भाईचारे और सद्भाव की अभिव्यक्ति का है. इस मौके पर हम समाज के सबसे कमजोर वर्गों के साथ चीजों को साझा करने और उनकी देखभाल में अपने विश्वास की पुष्टि करते हैं.”
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति ने विदेशों में बसे नागरिकों समेत सभी लोगों को ईद-उल-फितर की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा, “ऐसे समय में जब हम कोविड-19 महामारी के कारण अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहे हैं तो आइये देने (जकात) की अपनी भावना को व्यापक रूप से अपनाएं.’’ उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कामना की, "ईद-उल-फितर से जुड़े महान आदर्श हमारे जीवन में स्वास्थ्य, शांति, समृद्धि और सद्भाव लेकर आएं." हालांकि इस बार कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते ईद की पूर्व संध्या पर रौनक दिखाई नहीं दे रही है.
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जाकिर नगर में एक गैर-सरकारी संगठन चलाने वालीं शमा खान हर साल ईद पर गहने, कपड़े, बहुत सारी मिठाइयां खरीदती थीं और रिश्तेदारों को दावत देती थीं, लेकिन इस बार वह ऐसा नहीं कर रहीं. खान (30) कहती हैं, ''यह आम दिनों की तरह नहीं हैं. हमारे घर पर और रिश्तेदारों में किसी ने भी गहने, कपड़े या मिठाइयां नहीं खरीदीं. हर साल हमारा परिवार दावत किया करता था, लेकिन इस बार हम ऐसा नहीं करेंगे. जब करोड़ों लोग भूखे पेट सो रहे हों, तो हम ऐसा कैसे कर सकते हैं.''
खान की ही तरह राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले कई मुसलमान ईद-उल-फितर पर नए सामान और कपड़े खरीदने से परहेज कर रहे हैं. उन्होंने पैसा बचाकर उसे कोविड-19 लॉकडाउन से प्रभावित जरूरतमंद लोगों और प्रवासियों की मदद के लिये खर्च करने का फैसला लिया है. जामिया नगर के निवासी मोहम्मद मुस्लिम और उनके दोस्तों ने भी इस साल ईद पर खरीदारी न करके उससे बचे पैसों को जरूरतमंद लोगों के लिये जरूरी सामान खरीदने पर खर्च करने का फैसला किया है. मुस्लिम कहते हैं, ''हमारे समूह में लगभग 50 ऐसे लोग हैं, जिन्होंने ऐसे बेघर लोगों और प्रवासियों के लिए आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए पैसे जमा किए हैं, जिनके पास लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी कमाने का कोई साधन नहीं है.''
सामाजिक कार्यकर्ता मुस्लिम ने कहा, ''जरूरी नहीं है कि हम ईद पर नमाज अदा करने के लिए नए कपड़े पहनें. बस कपड़े साफ होने चाहिए. साथ ही, अगर लोग इत्र और गहने नहीं खरीदते हैं तो बहुत सारा पैसा बचाया जा सकता है.'' उन्होंने कहा कि जब लाखों बेघर और बेरोजगार देशवासी एक समय के भोजन के लिये भी संघर्ष कर रहे हों, तो ईद मनाने का क्या फायदा. देश के अधिकतर हिस्सों में सोमवार को ईद मनायी जाएगी. हालांकि केरल और जम्मू-कश्मीर समेत कुछ जगहों पर रविवार को ही ईद मनाई गई. उत्तर प्रदेश में भी इस बार की ईद कुछ अलग होगी क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन लागू है.
ईद की पूर्व संध्या पर बाजारों में रहा सन्नाटा
ईद की पूर्व संध्या पर गुलजार रहने वाली राजधानी लखनऊ के अमीनाबाद, नजीराबाद, फतेहगंज, लाटूश रोड और कैसरबाग की सड़कों पर रविवार को सन्नाटा पसरा रहा. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपील की है कि लोग ईद घर पर ही रहकर मनायें. बिहार में भी ईद की रौनक नदारद है और लोगों ने घरों में रहकर ही इसे मनाने का फैसला किया है. पटना में सेवानिवृत आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्ला ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''मैंने न तो ऐसा कभी सुना और न ही देखा कि लोग ईद की नमाज घरों में पढ़ें. इस बार न तो हाथ मिला पाएंगे और न ही गले मिल सकेंगे. इस बार ईद बहुत अलग है.''
पश्चिम बंगाल में भी इस बार ईद सादगी से मनाई जाएगी
पश्चिम बंगाल में भी इस बार ईद सादगी से मनाई जाएगी. लॉकडाउन के चलते ईद की पूर्व संध्या पर लोग घरों में रहे और खरीदारी करने के लिये बाहर नहीं निकले. कोलकाता के बहू बाजार निवासी और पेशे से इंजीनियर जीशान अली (25) ने कहा, ''इस बार मैं जल्दी सोकर उठने और सुबह छह बजे अपने पिता के साथ रेड रोड पर नमाज पढ़ने जाने को याद करूंगा. मैं अपने दोस्तों से भी नहीं मिल पाउंगा. घर की चार दीवारी में नमाज पढ़ना...दिल तोड़ने वाला है. बहरहाल, इस बार हमें कुछ अलग अनुभव मिलेगा.''
कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित गुजरात में मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने लोगों को नमाज के लिये मस्जिद नहीं जाने की हिदायत दी है. सामाजिक कार्यकर्ता मुजाहिद नफीस ने कहा, ''सच्चाई यह है कि अपनी आजीविका खोने के चलते लोगों के पास पैसे नहीं है. बड़ी संख्या में मुसलमान दिहाड़ी पर काम करते हैं, उन्हें लॉकडाउन के चलते नुकसान हुआ है. अच्छी हैसियत वाले मुसलमानों ने जरूरतमंदों को जकात (कमाई का 2.5 प्रतिशत हिस्सा) देने का फैसला किया है.'' मुंबई में भी इस बार कोविड-19 के चलते ईद की रौनक गायब है.
मुंबई वासियों ने इस साल सादगी से ईद मनाने का किया फैसला
मुंबई वासियों ने इस साल सादगी से ईद मनाने का फैसला किया है. कलीना इलाके में किराने की दुकान चलाने वाले शादाब अंसारी ने कहा, ''जब मस्जिदों में नमाज नहीं होगी, तो ईद कैसी?'' उपनगरीय कुर्ला इलाके के निवासी शाहिद कुरैशी ने कहा, ''कोविड-19 के चलते बहुत लोगों की मौत हो चुक. इस साल हमें इसकी खुशी नहीं है, लिहाजा हमने ईद नहीं मनाने का फैसला किया है.'' तमिलनाडु में ईद की पूर्व संध्या पर खरीदारी में गिरावट देखी गई. राज्य के लोगों ने इस बार सादगी से ईद मनाने का फैसला किया है. चेन्नई के निवासी एस मोहम्मद ने कहा, ''हमें घरों में नमाज पढ़ने और नए कपड़े खरीदने से परहेज करने के लिये कहा गया है क्योंकि फिलहाल बहुत से लोग कुछ भी खरीदने की हालत में नहीं हैं.
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इसके बजाय हमारे बड़ों ने भोजन के अलावा जो कुछ भी संभव हो सके, जरूरतमंद लोगों को देने के लिये कहा है.'' इस बीच, केरल में रविवार को सादगी से ईद मनायी गई. कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते लोगों ने घरों पर ही ईद की नमाज अदा की. राज्य के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पी विजयन ने लोगों को ईद की बधाई दी. खान ने ट्वीट किया, ''हमें कोविड-19 की रोकथाम और इसे खत्म करने का वरदान भी मिले.'' मुख्यमंत्री ने कहा कि ईद-उल-फितर समानता, सहिष्णुता और पश्चाताप का संदेश देती है. इसके अलावा गोवा, असम, मेघालय में इस बार ईद का उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है.