राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए सात दिसंबर को होने वाले मतदान के लिए बुधवार को चुनाव प्रचार समाप्त हो गया. प्रचार के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी जंग में अपनी-अपनी पार्टियों की जीत के लिए ठोस प्रयास किए. इन चुनावों को 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा के लिए मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सिमटता दिखाई दे रहा है, तो वहीं तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा के लिए विशेषकर कुछ सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होता प्रतीत हो रहा है, जहां कांग्रेस ने तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) के साथ गठजोड़ कर लिया है. टीजेएस एम. कोडांदरम के नेतृत्व वाली एक नवगठित पार्टी है, जो किसी जमाने में तेलंगाना आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के दोस्त रहे थे.
दोनों राज्यों में प्रचार अभियान उस वक्त चरम पर पहुंच गया, जब विभिन्न दलों के नेताओं ने एक-दूसरे पर निजी हमले किए.
राजस्थान में बीजेपी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है और खास बात यह है कि राज्य में बीते 20 वर्षो में कोई भी पार्टी दोबारा सत्ता पर कब्जा नहीं कर पाई है. चुनावी सर्वेक्षण राज्य में कांग्रेस को बढ़त दिखा रहे हैं, लेकिन बीजेपी ने अपने वोटों की संख्या बढ़ाने के लिए बीते कुछ दिनों में पूरी जोर आजमाइश की है, क्योंकि बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा वोट जुटाने वाले मोदी ने इस दौरान 12 रैलियों को संबोधित किया है.
बुधवार को उन्होंने विवादास्पद अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में मध्यस्थ क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण के मद्देनजर भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर कड़ा हमला बोला और कहा कि ब्रिटिश नागरिक संप्रग शासनकाल के दौरान हुए सौदे में भेद खोलेगा, जिसने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिया है.
शाह ने भी राजस्थान में कई रोड शो और संवाददाता सम्मेलनों को संबोधित किया है. बीजेपी ने 2013 में 163 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस को केवल 21 सीटें मिली थीं.
वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी राजस्थान और तेलंगाना दोनों राज्यों में निरंतर प्रचार में जुटे रहे. पार्टी ने दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा पेश नहीं किया है. असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम आठ सीटों पर मैदान में है और बाकी पर उसने टीआरएस को समर्थन दिया हुआ है.
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तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर विपक्षी दलों को चौंकाते हुए तय समय से पांच महीने पहले ही चुनाव मोड में आ गए. तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस और कांग्रेस के नेता प्रचार के अंतिम दिन आक्रामक हो गए.
बीते कई चुनावों में प्रचार से नदारद रही संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तेलंगाना में एक रैली को संबोधित किया, ताकि कांग्रेस नीत पीपुल्स फ्रंट की संभावनाओं को बढ़ाया जा सके. उन्होंने वीडियो संदेश के माध्यम से मतदाताओं से अपील भी की.
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राजस्थान में 4.74 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, वहीं तेलंगाना में 2.80 करोड़ से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे.
तेलंगाना और राजस्थान में चुनावों के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. नतीजों की घोषणा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और मिजोरम के साथ 11 दिसंबर को की जाएगी.
Source : IANS