2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के अर्श से फर्श तक के सफर की कहानी लिखने वाले मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राजनीतिक गलियारों में शामिल होने की तमाम अटकलों को विराम देते हुए रविवार को जनता दल (यूनाइटेड) का दामन थाम लिया। प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने जेडीयू की कार्यकारिणी बैठक में नीतीश की मौजूदगी के दौरान पार्टी की सदस्यता की शपथ ली।
पार्टी में प्रशांत के शामिल होने पर खुशी जताते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वो भविष्य हैं जो कि उज्जवल है।
जेडीयू का मास्टरस्ट्रोक बनेंगें पीके
चुनावी पंडितों के अनुसार पीके का 2019 लोकसभा चुनाव से पहले जेडीयू में शामिल होना किसी मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं है। हाल ही में सामने आए मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस, आए दिन सामने आ रहे मॉब लिंचिंग के केस और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध से बिहार में सुशासन बाबु की छवि को जो नुकसान पहुंचा है उसे आगामी चुनावों से पहले सुधारने में प्रशांत किशोर किसी संजीवनी की तरह काम कर सकते हैं।
ऐसे में एक चुनावी रणनीतिकार के तौर पर नहीं बल्कि पार्टी के सदस्य के रूप में पीके का जेडीयू से जुड़ना नीतीश के लिए बड़ा दांव साबित हो सकता है।
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2014 में बीजेपी के चुनाव प्रचार को बनाया था मोदी लहर
बता दें कि प्रशांत किशोर का नाम 2014 चुनाव के बाद से सियायी गलियारों में तेजी से चर्चित हुआ। तीन दशक पहले जन्मी पार्टी बीजेपी ने पहली बार पीके की रणनीति पर काम कर अकेले दम पर बहुमत हासिल किया। यह प्रशांत किशोर की रणनीति का ही कमाल था जिसने बीजेपी के चुनाव प्रचार को मोदी लहर में तब्दील कर दिया था।
पीके ने 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के लिए चुनावी रणनीति तैयार की, और यहां भी उन्हें कामयाबी मिली। इसके बाद बिहार में जेडीयू, आरजेडी व कांग्रेस के महागठबंधन को प्रचंड जीत मिली।
हालांकि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में वो कांग्रेस-एसपी गठबंधन को जीत दिला पाने में सफल नहीं हो सके।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कयास लगाया जा रहा है कि वह जल्द ही राजनीति में पदार्पण कर सकते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में सीटों की स्थिति को लेकर इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है। जेडीयू सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं और नेताओं को जीत का मंत्र देंगे।
लोकसभा चुनाव से पहले सींटो का गणित
जेडीयू लोकसभा चुनाव को देखते हुए अभी से ही बीजेपी से सीटों पर स्थिति साफ करने का दबाव बना रही है। दोनों दलों की बयानबाजी के दौरान जेडीयू ने कहा था कि पिछले लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले पर चलते हुए उसे 40 में से 25 सीटें मिलनी चाहिए।
जबकि सूत्रों के अनुसार बीजेपी सिर्फ 15 सीटों पर ही जेडीयू को चुनावी मैदान में उतारना चाहती है।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे मात्र दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था जबकि बीजेपी को बिहार की 40 में से 22 सीटें मिली थीं।
फूट डालने की कोशिश में जुटा विपक्ष
वहीं, सहयोगी दलों लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) को क्रमश: छह और तीन सीटें मिली थीं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर आरएलएसपी ने भी अधिक सीट पर दावेदारी कर रखी है।
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इधर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि सीट बंटवारा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल सभी दलों के जब दिल मिल गए हैं, तो सीट भी समय आने पर बंट जाएगा।
गौर करने वाली बात है कि कई मौकों पर एनडीए के घटक दलों में सीट बंटवारे को लेकर संभावित झगड़े को लेकर आरजेडी, कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं। आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भविष्यवाणी भी कर दी है कि एलजेपी और आरएलएसपी दोनों महागठबंधन में शामिल होने वाले हैं।
Source : Vineet Kumar