किसी संसदीय / विधानसभा क्षेत्र में नोटा (NOTA) के पक्ष में सबसे ज्यादा वोट डलने की सूरत में वहां चुनाव परिणाम को रद्द कर नए सिरे से चुनाव करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने इस मांग पर सवाल भी उठाया. उन्होंने कहा कि अगर इस मांग को मान लिया जाता है तो ऐसी सूरत में उन सीटों पर किसी का प्रतिनिधित्व नहीं रह पायेगा. ऐसी सूरत में सदन कैसे काम करेगा? सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से याचिका दाखिल की गई थी.
सीजेआई एसए बोबड़े कि अध्यक्षता वाली पीठ ने चार सप्ताह में सरकार और आयोग से जवाब तलब किया है. याचिका में कहा गया है कि न्यायालय यह घोषणा कर सकता है कि यदि ‘इनमें से कोई नहीं’ विकल्प (नोटा) को सबसे ज्यादा मत मिलते हैं, तो उस निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को रद्द कर दिया जाएगा और छह महीने के भीतर नए सिरे से चुनाव कराए जाएंगे. इसके अलावा रद्द चुनाव के उम्मीदवारों को नए चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
‘नोटा को ज्यादा वोट मिलने का अर्थ उम्मीदवारों से असंतुष्ट है वोटर’
याचिका में यह भी कहा गया है कि कई बार राजनीतिक दल मतदाताओं से मशवरा किए बिना ही अलोकतांत्रिक तरीके से उम्मीदवारों का चयन करते हैं इसीलिए कई बार निर्वाचन क्षेत्र के लोग पेश किए गए उम्मीदवारों से पूरी तरह असंतुष्ट होते हैं. अगर सबसे अधिक मत नोटा को मिलते हैं तो इस समस्या का हल नए चुनाव आयोजित कर किया जा सकता है. नोटा को सर्वाधित वोट मिलने का अर्थ है कि मतदाता प्रत्याशियों से संतुष्ट नहीं है.
CJI ने मांग पर उठाए सवाल
हालांकि CJI ने इस मांग पर सवाल भी उठाया. उन्होंने कहा कि अगर इस मांग को मान लिया जाता है तो ऐसी सूरत में उन सीटों पर किसी का प्रतिनिधित्व नहीं रह पाएगा. ऐसी सूरत में सदन कैसे काम करेगा. याचिका अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी. सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी दलील के लिए पेश हुईं. याचिका में मांग ये भी की गई थी कि NOTA के पक्ष में सबसे ज्यादा वोटिंग होने की सूरत में उस सीट पर नए सिरे से तो चुनाव हो ही, साथ ही साथ उन लोगों को फिर से चुनाव लड़ने की इजाजत भी न दी जाए, जो पहले इलेक्शन में उम्मीदवार थे.
HIGHLIGHTS
- बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की याचिका
- सीजेआई ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस