Supreme court Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट में 1 नवबंर को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के मामले पर सुनवाई हुई. ये मामला पिछले 8 साल से कोर्ट में जारी है. इस केस पर अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखते हुए कहा कि इसकी गोपनीयता बनाई रखनी चाहिए. हलांकि चुनावी बॉन्ड की वजह से चंदे में पारदर्शिता आई है. वहीं याचिकार्ता ने कहा कि इसे गुप्त बनाए रखने का मतलब है कि काला धन को बढ़ावा देना. तुषार मेहता ने कहा कि चंदा देनेवाले नहीं चाहते हैं कि उनका नाम उजागर हो. जानकारी पब्लिक होने पर दूसरी पार्टियां नाराज हो सकती है.
इस मामले की सुनवाई दो दिन चली. इसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस बीआर गवई की बेंच कर रही है. इस मामले पर चार याचिका दायर की गई है. चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से सवाल पूछा कि ऐसा क्यों होता है कि जो सत्ता में होता है उसे अधिक चंदा मिलता है. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि चंदा देने वाला पार्टी की वर्तमान स्थिति देखता है.
किस पार्टी को कितने चंदे
राजनीतिक दलों के द्वारा जो चुनाव आयोग को जानकारी दी गई उसके अनुसार पिछले पांच सालों में कुल 10 हजार करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए गए. इसमें कांग्रेस को 952.29 करोड़ वहीं बीजेपी को 5 हजार करोड़ से अधिक मिले. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 और 2021-22 के दरमियान भारतीय स्टेट बैंक के जरिए कुल 9 हजार 208 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए. इसमें से बीजेपी को करीब 5 हजार 272 करोड़ को मिले. वहीं इस दौरान कांग्रेस को 952.9 करोड़ का चंदा प्राप्त हुआ.
टीएमसी, बीजेडी और डीएमके को भी चुनावी बॉन्ड के जरिए भारी रकम मिले. ममता बनर्जी की पार्टी को 767.88 करोड़ रुपए, नवीन पटनायक की पार्टी को 622 करोड़ रुपए, एमके स्टालिन की पार्टी को 431.5 करोड़ रुपए प्राप्त हुए. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी को 24.40 करोड़ रुपए, केजरीवाल की आप को 48.83 करोड़ रुपए, शरद पवार की पार्टी को 51.5 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए फंड मिले.
क्या है चुनावी बॉन्ड
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना भारत सरकार की ओर से 2017 में लाई गई थी. लेकिन इसे साल 2018 में लागू किया गया था. इस स्कीम के जरिए कोई भी व्यक्ति जो पार्टियों को दान देना चाहता है वो स्टेट बैंक के जरिए चुनावी बॉन्ड खरीद कर दान दे सकता है. हलांकि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले के पास बैंक खाता होना जरूरी है.
Source : News Nation Bureau