सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के कर्मचारी संगठनों ने भारत पेट्रोलियम कॉरपेारेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के रणनीतिक विनिवेश का शनिवार को विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस विनिवेश से सरकार को एक बारगी राजस्व की प्राप्ति तो हो सकती है लेकिन इसका दीर्घकाल में बड़ा नुकसान होगा. सरकार बीपीसीएल में बहुलांश हिस्सेदारी बेचकर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाने की योजना बना रही है. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ट अधिकारी ने कहा कि बिक्री को अगले साल के लिये टाला जा सकता है. कंफेडरेशन ऑफ महारत्न ऑफिसर्स एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ ऑयल पीएसयू ऑफिसर्स ने शनिवार को यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अपना विरोध जताया.
दोनों संगठनों ने दावा किया कि बीपीसीएल के विनिवेश से सरकार को घाटा होगा. उन्होंने दावा किया कि कंपनी का मूल्यांकन 9.75 लाख करोड़ रुपये है जबकि सरकार को उसकी 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने से अधिकतम 75 हजार करोड़ रुपये ही मिल पायेंगे. ओएनजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी अमित कुमार ने कहा, ‘‘बीपीसीएल लाभ कमाने वाली देश की सबसे दक्ष कंपनी है और पिछले पांच साल से यह सालाना 17 हजार करोड़ रुपये दे रही है. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वह बीपीसीएल के विनिवेश के निर्णय पर पुनर्विचार करे. विनिवेश अल्पकाल के लिये प्राप्ति हो सकती है लेकिन इसका लंबे समय में काफी नुकसान उठाना पड़ेगा.’’
अमित कुमार ने कहा कि सरकार यदि चाहती है तो वह किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी जिसका प्रदर्शन कमजोर है, उसका निजीकरण अथवा विनिवेश कर सकती है. तब यह देखना होगा कि कौन सी निजी क्षेत्र की कंपनी इस तरह के उपक्रम का अधिग्रहण करती है. बीपीसीएल के अनिल मेधे ने कहा, ऊर्जा क्षेत्र को रणनीतिक तौर पर काफी अहम माना जाता है. इस क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का निजीकरण करना देश की सुरक्षा के लिये खतरा हो सकता है. फेडरेशन आफ आयल पीएसयू आफीसर्स (फोपो) के संयोजक मुकुल कुमार ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों में बीपीसीएल सबसे पेशेवर ढंग से चलने वाली कंपनी है. सरकार के बीपीसीएल के विनिवेश के फैसले को लेकर कर्मचारी आश्चर्यचकित हैं.
Source : Bhasha