भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में मंदी (Slowdown) का असर लगभग सभी सेक्टर पर दिखाई पड़ रहा है. कई उद्योगों में हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और अभी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. वहीं बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) पर हमला बोल रहा है. दूसरी ओर बेरोजगारी का आलम यह है कि अच्छे खासे पढ़े हुए लोग भी सफाई कर्मी बनने को मजबूर हैं.
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सफाई कर्मी के पद के लिए इंजीनियरों ने भी किया आवेदन
ताजा मामले में तमिलनाडु में सफाई कर्मी के पद के लिए इंजीनियरों ने भी आवेदन किया है. बता दें कि कोयंबटूर सिटी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (Coimbatore City Municipal Corporation-CCMC) में ग्रेड -1 सफाई कर्मी के 549 पद के लिए इंजीनियरों सहित 7,000 स्नातकों ने आवेदन किया है. म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के ऑफिस आए इंजीनिएरिंग में स्नातक अरुण कुमार का कहना है कि उन्होंने इंजीनिएरिंग की पढ़ाई की है लेकिन उन्हें उनके क्षेत्र में कोई भी नौकरी नहीं मिली. वह इस समय नौकरी करना चाहते हैं इसलिए वह वहां आए हुए हैं.
Tamil Nadu: 7000 graduates including engineers applied for 549 grade-1 sanitary worker posts in Coimbatore City Municipal Corporation (CCMC). Arun Kumar,BE in Mechatronics says,"I completed my engineering but I couldn't get a job in my field.I want a job now. So,I'm here" (28.11) pic.twitter.com/6Gu3hrCir2
— ANI (@ANI) November 29, 2019
2020 में अधिकतर भारतीय कंपनियों में सुधार की उम्मीद नहीं: मूडीज (Moody's)
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (Moody Investors Service) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कमजोर आर्थिक वृद्धि, सुस्त पड़ती कमाई से वर्ष 2020 में वित्तीय क्षेत्र को छोड़ दूसरे क्षेत्रों की ज्यादातर भारतीय कंपनियों की साख परिस्थितियां कमजोरी बनी रहेगी. मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ साख अधिकारी कोस्तुभ चौबाल ने कहा कि प्रमुख कंपनियों के क्रेडिट परिवेश में 2020-21 के दौरान ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं लगती है. ऊंचा ऋण स्तर, कमजोर मुनाफा वृद्धि और लगातार जारी आर्थिक सुस्ती की वजह से यह हो रहा है जिससे निवेश और खपत दोनों पर ही असर पड़ रहा है.
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भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 में कमजोर रह कर 6.6 प्रतिशत
इस स्थिति को देखते हुये मूडीज़ का अनुमान है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 में कमजोर पड़कर 6.6 प्रतिशत रह जायेगी. यह इससे पिछले वर्ष के 6.8 प्रतिशत से कुछ कम होगी. सरकार के लिये निकट भविष्य में रिण स्थिति में सुधार के लिये नये प्रोत्साहन उपायों के मामले में सीमित संभावनायें नजर आतीं हैं. अमेरिका स्थित इस एजेंसी ने हालांकि, कहा है कि बुनियादी क्षेत्र की कंपनियों की मजबूत बाजार स्थिति और आवश्यक सेवाओं को देखते हुये कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा.