भारत के सबसे ज़्यादा चर्चित और कुशल सैनिक सैम मानेकशॉ को सौर्य का पर्यायवाची कहें तो गलत नहीं होगा। उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण जंगों में निर्णायक भूमिका निभाई थी। भारत के सबसे ज़्यादा चर्चित और कुशल सैनिक कमांडर मानेकशॉ का जीवन उपलब्धियों से भरा रहा।
उनकी सबसे बड़ी कामयाबी मानी जाती है – 1971 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जंग में जीत। उस समय पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में करीब 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों फ़ौज ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था।
फ़ील्ड मार्शल मानेकशॉ पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘इन वार एंड पीस: द लाइफ़ ऑफ़ फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ’ बनी है जिसमें उन्होंने अपने पोते को इस ऐतिहासिक युद्ध के बारे में बताया है।
जंग के मैदान में दुशमनों के छक्के छुड़ाने वाले मानेकशॉ के बारे में आज हम आपको कुछ दिलचस्प बाते बताने जा रहें हैं।
1 सैम बहादुर का था मजाकिया अंदाज
सैम बहादुर पर बनी फिल्म में उन्होंने अपने मजाकिया अंदाज के बारे में जिक्र किया है। इस डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में एक जगह सैम याद करते हैं कि कैसे 1971 की लड़ाई के बाद तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें तलब किया और कहा कि ऐसी चर्चा है कि सैम तख़्ता पलटने वाले हैं।
सैम ने मज़ाक करते हुए अपने जाने-माने अंदाज़ में कहा, 'क्या आप ये नहीं समझतीं कि मैं आपका सही उत्तराधिकारी साबित हो सकूँगा? क्योंकि आपकी नाक लंबी है और मेरी भी नाक लंबी ही है।' और फिर सैम ने कहा, 'लेकिन मैं अपनी नाक किसी के मामले में नहीं डालता और सियासत से मेरा दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।'
2 पारिवारिक जीवन में भी थे मजाकिया इंसान
सार्वजनिक जीवन में हँसी मज़ाक के लिए मशहूर सैम अपने निजी जीवन में भी उतने ही अनौपचारिक और हंसोड़ थे। उनकी बेटी माया दारूवाला ने बताया, 'लोग सोचते हैं कि सैम बहुत बड़े जनरल हैं, उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ी हैं, उनकी बड़ी-बड़ी मूंछें हैं तो घर में भी उतना ही रौब जमाते होंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था. वह बहुत खिलंदड़ थे, बच्चे की तरह। हमारे साथ शरारत करते थे। हमें बहुत परेशान करते थे। कई बार तो हमें कहना पड़ता था कि डैड स्टॉप इट जब वो कमरे में घुसते थे तो हमें यह सोचना पड़ता था कि अब यह क्या करने जा रहे हैं।'
3 कम बोलना था पसंद
दिल्ली के एयरफोर्स ऑडिटोरियम में सैम के जन्मदिन पर उन पर बनी फिल्म दिखाई जानी थी। सैम बहादुर आने को तैयार नहीं हो रहे थे। अन्हें अकेले समय बिताना पसंद था।
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समारोह के संयोजक लेफ्टिनेंट कर्नल ए एम मेहता ने फइल्म में बताया है कि कैसे उन्हें वचन देना पड़ा कि सैम को इस समारोह के दौरान एक बार भी बोलना नहीं पड़ेगा। तभी वे आने के लिए तैयार हुए।
4 कपड़ों के शौकीन
मानेकशॉ को अच्छे कपड़े पहनने का शौक था। अगर उन्हें कोई निमंत्रण मिलता था जिसमें लिखा हो कि अनौपचारिक कपड़ों में आना है तो वह निमंत्रण अस्वीकार कर देते थे।
5 ख़र्राटे लेने की आदत
सैम को खर्राटे लेने की आदत थी। उनकी बेटी माया दारूवाला कहती है कि उनकी मां सीलू और सैम कभी भी एक कमरे में नहीं सोते थे क्योंकि सैम ज़ोर-ज़ोर से खर्राटे लिया करते थे। एक बार जब वह रूस गए तो उनके लाइजन ऑफ़िसर जनरल कुप्रियानो उन्हें उनके होटल छोड़ने गए।
6 जब उन्होंने कहा, युद्ध के बारे में कुछ नहीं पता
पत्रकारों ने जब उनसे इराक़ की लड़ाई पर प्रतिक्रिया माँगी तो उन्होंने कहा था, 'मैं तो शांतिप्रिय आदमी हूं। जंगों के बारे में कुछ नहीं जानता।'
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Source : Sankalp Thakur