लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा, हिजबुल मुजाहिदीन और अन्य आतंकवादी संगठनों के लेटरहेड उन विभिन्न महत्वपूर्ण सबूतों में शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मीरवाइज उमर फारूक सहित शीर्ष अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आतंकी वित्तपोषण मामले में कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त बता रही है. एनआईए के जांचकर्ताओं ने इन लेटरहेड्स की छानबीन की है, जो पिछले महीने श्रीनगर में 7 विभिन्न स्थानों पर मारे गए छापों में बरामद हुए थे.
जांच से जुड़े एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि अवामी एक्शन कमेटी के अध्यक्ष, फारूक और 6 से अधिक शीर्ष अलगाववादी नेता आतंकी वित्तपोषण मामले में जल्द ही कार्रवाई का सामना कर सकते हैं. एजेंसी ने यह मामला मई 2017 में दर्ज किया था.
अधिकारी ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि इन अलगाववादी नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी, या उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. उसने सिर्फ इतना कहा कि जून से पहले कुछ बड़ा होने वाला है.
उन अलगाववादी नेताओं के नाम पूछे जाने पर अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक और सैयद अली शाह गिलानी के पुत्र नसीम गिलानी एनआईए की सूची में हैं. एजेंसी ने 9 मार्च को इन सभी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए मुख्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा था.
और पढ़ें : मुंबई फुटओवर ब्रिज हादसा: पुलिस की बड़ी कार्रवाई, ऑडिटर को किया गिरफ्तार
गिलानी से इस मामले में 3 बार से अधिक बार पूछताछ की जा चुकी है. एनआईए के रडार पर अन्य अलगाववादी नेताओं में तहरीक-ए-हुर्रियत के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ खान, आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के महासचिव मसारत आलम, और जम्मू एवं कश्मीर साल्वेशन मूवमेंट के अध्यक्ष तफर अकबर भट शामिल हैं.
एक हाईटेक इंटरनेट कम्युनिकेशन सेटअप और कुछ पाकिस्तानी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए वीजा अनुशंसा से जुड़े दस्तावेजों की जांच अन्य सबूतों में हैं, जो फारूक और अन्य संदिग्ध अलगावादी नेताओं के संबंध पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
और पढ़ें : PNB घोटाला: नीरव मोदी पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, लंदन कोर्ट ने जारी किया अरेस्ट वारंट
अधिकारी के अनुसार, कुछ संपत्ति दस्तावेज, वित्तीय लेनदेन की पावतियां, बैंक खातों के विवरण और लैपटॉप, ई-टैबलेट्स, मोबाइल फोन्स, पेन ड्राइव, कम्युनिकेशन प्रणाली और डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर भी इन सबूतों के हिस्सा हैं, जो इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि ये अलगाववादी नेता इन आतंकवादी समूहों के सरगनाओं के निर्देश पर राष्ट्रविरोधी अभियानों में संलिप्त रहे हैं.
ये सबूत 26 फरवरी को जम्मू एवं कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष, शब्बीर शाह सहित इन संदिग्ध अलगाववादी नेताओं के आवासीय परिसरों में मारे गए एनआईए के छापे के दौरान बरामद हुए थे.
Source : IANS