आईटी एक्ट 66A (IT Act 66A) को अंसवैधानिक घोषित किये जाने के बावजूद इसके तहत थानों में FIR दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हैरानी जाहिर की है. सर्वोच्च न्यायालय ने PUCL की अर्जी पर केन्द्र सरकार (Central Government) को नोटिस जारी किया है. PUCL की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि 2015 में IT एक्ट की 66 A को असंवैधानिक घोषित किये जाने के बावजूद थानों और ट्रायल कोर्ट में इस्तेमाल हो रहा है. केंद्र देश भर में सभी थानों में इसके तहत FIR दर्ज न करने के लिए एडवाइजरी जारी करे. याचिका में मांग की गई है कि केंद्र इस सेक्शन के तहत पुलिस स्टेशनों में पेंडिंग FIR/ जांच और कोर्ट में चल रहे मुकदमों का डेटा उपलब्ध कराए. सर्वोच्च न्यायलय (Supreme Court) ने कहा कि ये हैरान और परेशान करने वाला है कि साल 2015 में इस धारा को सुप्रीम कोर्ट से असंवैधानिक घोषित किये जाने के बावजूद इस धारा के तहत FIR दर्ज हो रही है.
आपको बता दें कि इसके पहले नवंबर 2020 में यूपी पुलिस को साल 2015 के श्रेया सिंघल के मामले को लेकर बार-बार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेतावनी दी थी लेकिन यूपी पुलिस तब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से अनभिज्ञा दिखाई दे रही थी. जबकि इस फैसले के तहत आईटी एक्ट की धारा 66ए को असंवैधानिक करार दिया जा चुका था. नवंबर 2020 में ही इस मामले के पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ धारा 66ए के तहत पिछले साल दर्ज की गई एक प्राथमिकी को रद्द कर दिया था.
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जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस समित गोपाल की पीठ ने बताया था कि कोर्ट धारा 66ए के तहत दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट को लेकर ऐसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है.पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि, श्रेया सिंघल (सुप्रा) के मामले में माननीय शीर्ष न्यायालय ने इस धारा को अधिकारातीत घोषित कर दिया था और बाद में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (सुप्रा) के मामले में एक विशिष्ट आदेश के माध्यम से उक्त स्थिति को याद दिलाया गया था.
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ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट जनादेश के बावजूद संबंधित अधिकारियों इन मामलों के प्रति अनुत्तरदायी और असंवेदनशील बने हुए हैं. इस न्यायालय द्वारा भी उपरोक्त फैसले को प्रभावी ढंग से और वास्तविक तौर लागू करने के लिए समय-समय पर याद दिलाया गया है और यह बताया गया है कि आईटी एक्ट 2000 की 66-ए को अल्ट्रा वायर्स घोषित किया जा चुका है.
HIGHLIGHTS
- IT Act 66A को असंवैधानिक घोषित होने के बाद भी दर्ज हो रही FIR
- सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों के बारे में जानकर जताई हैरानी
- पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में रद्द की थी एफआईआर