इतिहास में पहली बार बुधवार को हाईकोर्ट के एक कार्यकारी जज के खिलाफ अवमानना की सुनवाई कर सकता है। बुधवार को कोलकता हाई कोर्ट के जज सीएस करनन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अदालत की अवमानना करने के मामले पर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ कोलकता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस करनन के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई करने जा रही है। जस्टिस करनन ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कई जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवमानना मानते हुए इसके खिलाफ सुनवाई का फैसला किया है।
यह भी पढ़ें-कॉलेजियम ने की 9 हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश, चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अगुवाई में सरकार को भेजा नाम
पीएम के नाम लिखी चिट्ठी
जस्टिस करनन ने 23 जनवरी 2017 को प्रधानमंत्री को लिखी। जिस चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम हुआ है लेकिन न्यायपालिका में मनमाने और बिना डर के भ्रष्टाचार हो रहा है। चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व 20 जजों के नाम भी लिखे गए हैं। इसकी किसी एजेंसी से जांच होनी चाहिए।
पहले भी विवादों के घेरे में रह चुके हैं जस्टिस करनन
भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है। दरअसल कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस करनन पिछले कुछ सालों से कई बार विवादों के घेरे में हैं।
उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कॉल समेत कई और जजों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की और आरोप लगाए। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के कोलेजियम के उन्हें मद्रास से कोलकाता हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के फैसले पर खुद ही स्टे कर दिया था।
यह भी पढ़ें-AIADMK संकट गहराया, शशिकला ने पन्नीरसेल्वम के खिलाफ की कार्रवाई, पार्टी के कोषाध्यक्ष पद से हटाया
कैसे होता है जज को हटाने फैसला
आम तौर पर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित कराना पड़ता है। इसके लिए दोनों सदनों से दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होना जरूरी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले खुद ही सुनवाई का फैसला किया है।
Source : News Nation Bureau