केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि ये सभी विभागों की जिम्मेदारी है कि वो नोटबंदी के कदम से जुड़े हर प्रासंगिक तथ्यों और कारणों की जानकारी दें।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने नोटबंदी के निर्णय को लेकर सूचना के अभाव पर पारदर्शिता पैनल की ओर से पहली बार टिप्पणी करते हुए कहा कि नोटबंदी से जुड़ी जानकारियों को रोके रखने से अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर शंकाएं पैदा होंगी।
उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसलों से जुड़ी जानकारी को लोहे के किले में छुपा रखने का कोई अर्थ नहीं है।
उन्होंने कहा, 'कानून के शासन में और एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में नोटबंदी जैसे सार्वजनिक मामले के चारों ओर लोहे के ऐसे किले बनाने के नजरिए को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है, जिन्हें बाहुबली भी नहीं तोड़ सके।'
सीआईसीका यह बयान ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब प्रधानमंत्री कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय नोटबंदी के पीछे के कारणों से संबंधित जानकारियों को शेयर करने से इनकार कर दिया है।
साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 1000 एवं 500 रुपये के पुराने नोट को चलन से बाहर किए जाने की घोषणा की थी।
सीआईसीआचार्युलु ने एख आरटीआई कार्यकर्ता रामस्वरूप के मामले में निर्णय सुनाते हुए ये बात कही। उन्होंने नोटबंदी के फैसले के पीछे के कारण और उसके बाद उठाए गए कदमों से संबंधित जानकारियां आरटीआई के माध्यम से मांगी थी।
आचार्युलु ने सूचना मुहैया कराने का आदेश विभाग को दिया और कहा कि सभी सरकारी अधिकारियों की यह नैतिक, संवैधानिक, आरटीआई आधारित लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है कि वह नोटबंदी से प्रभावित हुए हर नागरिक को इस संबंध में सूचना, इसके कारण, प्रभाव और यदि कोई नकारात्मक असर पड़ा है तो उसको ठीक करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दें।
Source : News Nation Bureau