कथित गोकशी के नाम पर भीड़तंत्र द्वारा लोगों की हत्या हाल के दिनों में मीडिया की सुर्खियां बनती रहा है. उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में सोमवार को कथित गोकशी के नाम पर जिस तरह से पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की भीड़ ने हत्या की है उससे अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या भीड़ अब क़ानून पर भारी पड़ती जा रही है. साल 2015 सितंबर महीने में यूपी चुनाव से ठीक पहले दादरी में अख़लाक़ को भीड़ ने गोकशी के शक़ में पीट-पीट कर मार डाला. शुरुआत में यूपी के पशु चिकित्सा विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट में बताया गया कि 28 'सितंबर की रात दादरी में 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को जिस मांस की वजह से भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था वह बकरे का मांस था.' हालांकि बाद में एक और रिपोर्ट आई मथुरा लैब की, इस रिपोर्ट में बताया गया कि वह गोमांस ही था. वहीं पुलिस का कहना था कि यह गोमांस अख़लाक़ के घर से नहीं बल्कि पास के तिराहे से लिया गया था.
इस बारे में यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत में बताया कि 'सैंपल के लिए भेजा गया मांस गोमांस ही था लेकिन यह सैंपल अख़लाक़ के घर के अंदर से नहीं, बल्कि पास के तिराहे से लिया गया था. उन्होंने कहा कि इससे यह साबित नहीं होता है कि अख़लाक़ ने मांस खाया था या घर में रखा था.'
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़ अख़लाक़ की मौत के बाद से अब तक 80 से ज़्यादा लोग भीड़तंत्र की भेंट चढ़ चुके हैं. इनमें से 30 मामले ऐसे बताए गए हैं जिनमें स्वघोषित गोरक्षकों की भूमिका बताई गई है.
अख़लाक़ की हत्या और कारण
अखलाक के परिवारवालों के मुताबिक़ गांव के एक मंदिर में लगे लाउडस्पीकर पर ऐलान कर बताया गया कि उनके घर पर गाय काटकर उसका मांस पकाया गया है. रात करीब साढ़े दस बजे गांव के 14-15 लोग हाथों में लाठी, डंडा, भाला और तमंचा लेकर घर की तरफ गाली-गलौज करते हुए आए और दरवाजे पर धक्का मारते हुए अंदर घुस गए. अख़लाक़ की पत्नी ने कहा कि लोगों ने मेरे पति अख़लाक़ और बेटे दानिश को पीटने लगे जैसे की पहले ही तय कर लिया हो कि उसे मार देना है. मैंने भीड़ को रोकने की कोशिश की तो लोगों ने मुझे गालियां देते हुए धक्का मारकर बाहर फेंक दिया.
इतना ही नहीं परिवारवालों ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए, उनका कहना था कि हत्या की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची ज़रूर लेकिन वे हत्या के मामले को नज़रअंदाज़ करते हुए यह पता लगाने में जुट गई की उनके परिवार ने मांस कौन सा खाया है? अख़लाक़ के ख़ून से सने हुए कपड़े घर में मौज़ूद थे लेकिन पुलिस ने उसे छोड़कर फ्रिज में रखे गोश्त को ज़ब्त किया.
पहलू ख़ान की कथित गोरक्षकों ने पीट-पीट कर की हत्या
अप्रैल 2017 में कथित गोरक्षकों ने राजस्थान के अलवर में 55 वर्षीय पहलू ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस पिटाई में 55 वर्षीय पहलू ख़ान को गंभीर चोटें आयी थीं, जिससे उनकी मौत हो गई थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. इस घटना में घायल हुए पहलू ख़ान के बेटे इरशाद का कहना है कि उनका डेयरी का कारोबार है और वह जयपुर से गाय और भैंस खरीदकर ले जा रहे थे लेकिन कथित गोरक्षकों ने उन्हें गोतस्कर समझ लिया और उन पर हमला कर दिया. घटना के 2 दिन बाद पहलू ख़ान की मौत हो गई थी.
राजस्थान पुलिस ने बाद में इस घटना से जुड़े नामजद 6 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी. इस पर पहलू ख़ान के परिजनों ने आपत्ति जतायी और उच्च स्तरीय जांच की मांग की. वहीं राजस्थान पुलिस ने क्लीन चिट दिए जाने को लेकर कहा कि मौके पर मौजूद लोगों द्वारा दिए गए बयानों, फोटो, मोबाइल फोन लोकेशन आदि की जांच के बाद ही 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी गई. गौरतलब है कि पहलू ख़ान ने अपनी मौत से पहले भीड़ में शामिल लोगों के नाम बताए थे, जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की थी.
बता दें कि फ़िलहाल पहलू ख़ान की हत्या के मामले में 9 लोग आरोपी तय हुए हैं.
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रकबर ख़ान की कथित गोरक्षकों ने की थी पिटाई
राजस्थान के अलवर में गोतस्करी के शक में मारपीट के बाद हुई रकबर ख़ान की मौत की जांच जारी है. रकबर ख़ान की मौत में पुलिस की भूमिका सामने आने के बाद राज्य सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस को रात करीब 12:41 बजे सूचना मिली कि रामगढ़ इलाके के लालवंडी गांव में गोरक्षकों ने दो संदिग्ध गो-तस्करों को पकड़ रखा है. ख़बरों के मुताबिक सूचना मिलते ही सब इंस्पेक्टर मोहन सिंह अपने साथ दो सिपाहियों को लेकर करीब आधे घंटे में घटनास्थल पर पहुंच गए थे. हालांकि भीड़ ने तब तक रकबर को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया था और मौक़े से फ़रार हो गए थे. पुलिस मौक़े पर पहुंची और उसकी ख़राब हालत को देखते हुए पुलिस वैन में बिठाकर ही अस्पताल के लिए रवाना हुई लेकिन चार किलोमीटर का सफर तय करने में उन्हें साढ़े तीन घंटे लग गए.
उस वक़्त अस्पताल में मौजूद डॉ हसन अली ख़ान ने बाद में मीडिया को भी बताया कि पुलिस रकबर ख़ान को सुबह चार बजे मृत अवस्था में लाई थी. इन साढ़े तीन घंटों के दौरान पुलिस ने रकबर को अस्पताल ले जाने के बजाय रास्ते में चाय पीना और गायों को गोशाला छोड़ना ज्यादा ज़रूरी समझा.
लालवंडी गांव के कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने भी दावा किया कि उन्होंने पुलिस को अपनी जीप में रकबर को पीटते हुए देखा था. यानी एक तरह से इन सभी का कहना है कि रकबर की मौत पुलिस पिटाई से हुई है.
वहीं पुलिस की तरफ से ज़ारी बयान में बताया गया कि यह जानकारी नवलकिशोर शर्मा नाम के व्यक्ति ने दी थी. शर्मा रामगढ़ में विश्वहिंदू परिषद की गोरक्षा समिति के प्रमुख बताए जाते हैं. मौके पर मौजूद रकबर के साथी असलम का कहना है कि नवलकिशोर नाम का व्यक्ति प्रमुख हमलावरों में शामिल था. बता दें कि असलम पिटाई के दौरान वहां से भागकर अपनी जान बचाई थी.
वहीं नवलकिशोर शर्मा ने पहलू ख़ान की मौत के लिए पुलिस को ज़िम्मेदार बताया. स्थानीय विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने भी रकबर के पुलिस हिरासत में मारे जाने की बात कही.
हालांकि राजस्थान पुलिस के विशेष महानिदेशक एनआरके रेड्डी ने बयान दिया कि पुलिस हिरासत के दौरान रकबर के साथ मारपीट का कोई सबूत नहीं है. प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का भी कहना है कि रकबर की मौत भले ही पुलिस कस्टडी में हुई, लेकिन उसे पुलिस ने नहीं पीटा.
इस घटना के करीब छह महीने बाद अलवर में ही उमर मोहम्मद नाम के एक व्यक्ति का शव रेलवे ट्रैक के पास पड़ा मिला था. उमर के परिजनों का आरोप था कि उसे गोरक्षकों ने मारा है. इसी दौरान अलवर में ही कथित गोरक्षकों ने एक मुस्लिम व्यवसायी से उसकी 51 गायें छीनकर गोशाला को दे दी थीं.
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गोकशी के शक़ में हापुड़ में क़ासिम की पीट-पीटकर हत्या
जून 2018 में यूपी के हापुड़ के पिलखुआ थाना क्षेत्र में गोकशी के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर दो लोगों को अधमरा कर दिया. इसमें से 45 वर्षीय क़ासिम नाम के एक युवक ने बाद में दम तोड़ दिया. इउस बारे में पुलिस ने बताया कि पिलखुआ कोतवाली क्षेत्र के बझेड़ा खुर्द गांव में एक मामूली विवाद को लेकर कुछ ग्रामीणों ने दो लोगों को को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था, जिसमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई. वहीं, इस घटना के सिलसिले में गोकशी की अफवाह गलत थी.
उन्होंने बताया कि दोनों घायलों को गंभीर हालत में एक नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, हालांकि वहां क़ासिम नाम के एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गयी, जबकि गंभीर रूप से घायल एक अन्य व्यक्ति समयुद्दीन का इलाज चल रहा है. पिलखुवा डीएसपी पवन कुमार ने बताया कि मोटरसाइकिल की टक्कर के चलते दो पक्षों में विवाद हो गया था, जिसके चलते आरोपियों ने मोटरसाइकिल सवार दो लोगों की पिटाई कर दी थी. वहीं गोकशी के शक़ में हुई हत्या की बात को पुलिस ने अफ़वाह बताया.
वहीं पीड़ित परिवार इसे गोकशी के शक में हुई हत्या बता रहे हैं. इसकी पुष्टि एक वायरल वीडियो में भी हुई जिसमें क़ासिम मैदान में लेटा दिखाई दे रहा था और उसके कपड़े फटे हुए थे. वह दर्द से चिल्ला रहा था और हमलावरों से पीछे हटने और पानी देने को कह रहा था.
इस वीडियो में एक व्यक्ति यह कहता सुनाई दे रहा है कि 'तुमने उसे मारा है, उस पर हमला किया है, अब बस करो, कृपया समझो इसके क्या परिणाम होंगे.' वहीं एक और आवाज सुनाई देती है जिसमें एक शख्स कह रहा है कि अगर हम दो मिनट के भीतर नहीं पहुंचते, तो गाय का क़त्ल कर दिया गया होता. वहीं तीसरा आदमी क्या रहा है, वह एक कसाई है. कोई उससे पूछता है कि वह एक बछड़े को मारने की कोशिश क्यों कर रहा था?'
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साल 2017 में ट्रेन में सीट विवाद को लेकर जुनैद हाफ़िज़ ख़ान की पीट-पीट कर हत्या
साल 2017 के रमज़ान में जुनैद हाफ़िज़ ख़ान नाम के एक 16 वर्षीय किशोर की दिल्ली से बल्लभगढ़ जाते हुए एक लोकल ट्रेन में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जुनैद अपने भाई हाशिम और शाकिर के साथ दिल्ली के सदर बाज़ार से ईद की ख़रीदारी करके घर वापस लौट रहा था. इस मामले में पुलिस का कहना है कि ट्रेन में सीट को लेकर झगड़ा हुआ और भीड़ ने जुनैद और उनके साथियों पर हमला किया.
हालांकि कई मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि जुनैद को 'उनकी पहचान' की वजह से निशाना बनाया गया और भीड़ ने उनकी हत्या की क्योंकि वह मुसलमान थे.'
रामगढ़ में भीड़े ने वैन ड्राइवर अलीमुद्दीन की पीट-पीट कर की हत्या
साल 2017 में 29 जून को रामगढ़ के बाजारटांड़ स्थित सिदो-कान्हू जिला मैदान के पास प्रतिबंधित मांस ले जाने के आरोप में मो. अलीमुद्दीन की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. बताया जाता है कि सिदो-कान्हू जिला मैदान के पास भीड़ ने 29 जून 2017 को गोमांस ले जाने के शक़ में एक मारुति वैन को रोक दिया. उसके बाद भीड़ ने वैन ड्राइवर चालक मनुआ गांव निवासी अलीमुद्दीन (42) की पीट-पीट कर हत्या कर दी. वहीं मारुति वैन को आग के हवाले कर दिया.
इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपी बनाया था. हालांकि 21 मार्च 2018 को निचली अदालत ने आरोपी कपिल ठाकुर, रोहित ठाकुर, राजू कुमार, संतोष सिंह, उत्तम राम, छोटू वर्मा, दीपक मिश्र, विक्रम प्रसाद, सिकंदर राम, विक्की साव, नित्यानंद महतो को दोषी पाकर उम्र क़ैद की सजा सुनायी थी. जिसके बाद आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती. हाईकोर्ट ने 30 जून 2018 को 8 अभियुक्तों को ज़मानत दे दिया.
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Source : Deepak Singh Svaroci