2जी मामले की सुनवाई कर रही विशेष आदालत ने सीएजी और सीबीआई के आकलन को धक्का पहुंचाया है जिसमें उसने 2जी मामले में भारी घाटे की बात कही थी।
कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों ने 'चालाकी' से कुछ तथ्य इकट्ठा किये और उसे घोटाला करार दे दिया, 'जबकि ऐसा नहीं था'।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2जी घोटाले के कारण देश को 1.76 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। उस समय यूपीए सरकार सत्ता में थी।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था 2जी स्पेक्ट्रम का लाइसेंस देने में देश को 30,984 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में खारिज कर दिया था।
स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ट्लिकॉम विभाग से जुड़े सरकार के अधिकारियों के 'क्रियाकलापों और निष्क्रियता' के कारण पूरे मामले में एक बड़ा घोटाला देखा गया। जस्टिस सैनी ने गुरुवार को ए राजा और दूसरे लोगों को इस मामले में बरी कर दिया।
और पढ़ें: 2G घोटाले पर आए फैसले से स्वामी हुए 'असंतुष्ट', बोले- PM मोदी लें सीख
स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने कहा, 'अधिकारियों के क्रियाकलापों और निष्क्रियता के कारण किसी ने भी टेलिकॉम विभाग के पक्ष पर विश्वास नहीं किया और पूरे मामले में एक बड़ा घोटाला देखा गया जो कि नहीं था। इन कारणों से लोगों को लगा कि ये बहुत ही बड़ा घोटाला है।'
उन्होंने कहा, 'ऐसे में कुछ लोगों ने कुछ ऐसे तथ्य चालाकी से इकट्ठा किये और चीज़ों को अतिरंजित कर इसे एक बड़ा घोटाला करार दिया।'
स्पेशल जज ने कहा कि टेलिकॉम विभाग के नीतिगत फैसले विभिन्न आधिकारिक फाइलों में बिखरे हुए थे और उसे पाना या समझना मुश्किल हो गया था।
कोर्ट ने कहा, 'ये कुछ आदहरण हैं कि किस तरह से नीतिगत फैसले यहां-वहां बेतरतीब तरीके से फैले हुए थे। इसी वजह से बाहरी एजेंसी को समझना मुश्किल होता है औऱ सही परिप्रेक्ष्य नहीं मिल पाता है जिससे विवाद पैदा होता है।'
और पढ़ें: 2जी घोटाला: CBI की विशेष अदालत में ए राजा-कनिमोझी सभी आरोपों से बरी
कोर्ट ने कहा कि विभाग की फाइलें इतनी जल्दी खोली और बंद की गई हैं कि छोटे मुद्दों पर भी कोई सही प्रक्रिया और सलीका नहीं दिखता है।
कोर्ट ने कहा, 'सही परिप्रेक्ष्य किसी के समझ में न आने के कारण गलत होने का संदेह हुआ, जबकि ऐसा नहीं था, कम से कम कोर्ट को मिले रेकॉर्ड के हिसाब से। जिसके कारण पूरा विवाद हुआ और विभाग इस संबंध में मुद्दों पर साफ तौर पर कुछ कह नहीं सका।'
जस्टिस सैनी ने कहा कि नीतियों में पारदर्शिता के अभाव से भ्रम की स्थिति बनी और जो भी दिशानिर्देश बनाए गए वो दूसरे लोगों के साथ ही विभाग के लोगों की भी समझ से बाहर थे। इस्तेमाल किये गए कई शब्दों को पर स्थिति भी साफ नहीं की गई जिससे परेशानियां आईं।
और पढ़ें: केस से 'पूरे मनोयोग' से जुड़ा रहा, CBI ने ठोस तथ्य नहीं रखे: जज
Source : News Nation Bureau