सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने मंगलवार को कहा कि वह एडमिशन और नौकरियों में ईडब्ल्यूएस (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता पर 13 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगा. प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह कहने के बाद कहा कि पक्षों के वकीलों को बहस करने के लिए कुल 18 घंटे की आवश्यकता होगी. पीठ ने सभी वकीलों को आश्वासन दिया कि उन्हें दलीलें आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाएगा और कहा कि वह 40 याचिकाओं पर सुचारू सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए निर्देश पारित करने के लिए गुरुवार को फिर से इकट्ठा होगी.
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अदालत के एक वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन द्वारा तैयार किए गए कुछ सुझाए गए मुद्दों को प्रस्तुत किया गया है. इस संविधान पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं. वर्ष 2019 में 'जनहित अभियान' द्वारा दायर प्रमुख याचिका सहित अधिकांश याचिकाएं 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती देती हैं, जो ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए कोटा प्रदान करता है. अटॉर्नी जनरल के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर एक आधिकारिक घोषणा के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों से शीर्ष अदालत में ईडब्ल्यूएस कोटा कानून को चुनौती देने वाले लंबित मामलों को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिकाएं दायर की थीं.