16वीं लोकसभा के भंग होने के दो महीने बाद भी 200 से अधिक पूर्व सांसदों ने लुटियंस दिल्ली में अपने सरकारी बंगले खाली नहीं किए. इसके बाद केंद्र सरकार ने भी सख्ती से पेश आते हुए दो टूक कहा है कि सभी पूर्व सांसद अपना सरकारी बंगला 7 दिन के अंदर खाली कर दें. नहीं तो 3 दिन बाद बिजली-पानी की सप्लाई रोक दी जाएगी. यह जानकारी हाउसिंग कमेटी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने दी है.
इसको लेकर पीएम मोदी ने भी सोमवार शाम को ट्वीट कर नए सांसदों को होने वाली परेशानियों के बारे में बताया. मोदी ने ट्वीट किया, 'जब संसद का नया सत्र शुरू होता है, तो नए सांसदों को आवास के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मुझे खुशी है कि इस समस्या को दूर करने के प्रयास किए गए हैं. सांसद होने का मतलब है कि निर्वाचन क्षेत्र के लोग भी आते हैं और उन्हें भी आवास की आवश्यकता हो सकती है. कुछ इमारतों का इंफ्रास्ट्रक्चर भी ठीक नहीं है और मुझे बताया गया है कि इसे अपग्रेड करने के लिए काम किया जा रहा है. यह एक स्वागत योग्य संकेत है.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर 16वीं लोकसभा को 25 मई को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था. पूर्व सांसदों को पिछली लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर अपने-अपने बंगलों को खाली करना होता है. एक सूत्र ने बताया, 'लोकसभा के 200 से अधिक पूर्व सांसदों ने अब तक अपने सरकारी बंगलों को खाली नहीं किया है. इन सांसदों को 2014 में ये बंगले आवंटित किये गए थे.'
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नवनिर्वाचित सांसदों को वेस्टर्न कोर्ट में अस्थायी आवास उपलब्ध कराए गए हैं और जब तक उन्हें लुटियंस दिल्ली में पूर्णकालिक आवास आवंटित नहीं किया जाता, तब तक वे अतिथि गृह में रह रहे हैं. ऐसा सांसदों के आवास की लागत को कम करने के लिए किया गया है. इससे पहले, नए सांसद पांच-सितारा होटलों में तब तक रुकते थे, जब तक उन्हें एक पूर्णकालिक सरकारी बंगला आवंटित नहीं किया जाता था.