किसान कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच कई बार बैठक हो चुकी है. लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने न्यूज नेशन से बातचीत की. उन्होंने कहा कि अगर किसान सही परिपेक्ष में समझेंगे तो समस्या ही नहीं होगी. एपीएमसी व्यवस्था खत्म नहीं होगी और ये जारी रहेगा. एमएसपी भी 55 साल चल रही है और आगे भी चलेगी. फार्मिंग सिस्टम में जमीन नहीं जाएगी, सिर्फ फसल बेचने का प्रवधान है. किसानों और सरकार के बीच चर्चा होगी और समाधान भी निकलेगा. मेरा भी 50 साल आंदोलन सुलझाने का अनुभव रहा है, ऐसे ही यस और नो नहीं हो सकता है.
भारत बंद सफल नहीं रहा
आज का भारत बंद सफल नहीं रहा, देश के सारे किसान बाहर नहीं निकले. पंजाब का किसान भी समझेगा कि देश के पूरे किसानों ने इस आंदोलन में भाग नहीं लिया है. एपीएमसी बिल 2017 में यूपीए सरकार में बनकर तैयार हो गया है, 10 राज्यों ने इसका स्वागत किया था. राहुल गांधी कभी भी कोई भी भूमिका बदलते रहते हैं. किसानों को आंदोलन खत्म कर देना चाहिए. कृषि कानून को लेकर पंजाब के किसानों में भ्रम में फैलाया गया है. अकाली दल भी इस बिल में शामिल था, उन्हें अब समझ में आ रहा होगा. किसानों की गलतफहमी को दूर करेंगे. मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि इसका समाधान निकलना चाहिए.
आज के बंद में पूरे देश के किसान शामिल नहीं हुए
आज के बंद के बाद प्रदर्शन कर रहे किसान समझेंगे कि इसमें पूरे देश के किसान शामिल नहीं हुए. कॉंट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसानों की मर्जी से ही फसल का कॉन्ट्रैक्ट होगा, उनकी जमीन को बिल्कुल खरोंच नहीं आएगा. अगर किसान कॉट्रैक्ट फार्मिंग नापसंद करेगा तो वह उससे बाहर जा सकता है. दुनिया की अपेक्षा हमारे देश में उत्पादन कम होता है, इसलिए ये जरूरी है. उत्पादन बढ़ाने के लिए नई बीज, खाद समेत निवेश की जरूरत है, इसलिए ये कानून जरूरी है. 55 साल से एमएसपी व्यवस्था चल रही है और आगे भी ऐसी ही चलेगी. किसानों की 40 साल पुरानी मांग पूरी हुई है.
जस्टिन ट्रूडो का बयान ठीक नहीं
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का बयान ठीक नहीं है, विदेश मंत्रालय इस अपने हिसाब से डील कर रहा है. ऐसी किसी भी ताकतों को बढ़ने नहीं देंगे और देश में आंच नहीं आने देंगे. कुछ ताकतें ऐसी होती है जो फायदा उठाने की कोशिश करती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं चलेगा. मैं किसानों से कहूंगा कि अब यस और नो वाली भाषा नहीं चलेगी. आंदोलन किसी के लिए फायदेमद नहीं है, इससे देश का नाम बदनाम होता है.
Source : News Nation Bureau