Lockdown 3.0 के बीच मजदूरों के पलायन की दर्दनाक तस्वीर सामने आ रही है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पटरी पर पलायन के दौरान एक मालगाड़ी ने 19 मजदूरों को कुचल दिया, जिनमें 16 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई. ये सभी मजदूर मध्य प्रदेश के थे, जो जालना में फैक्ट्रियों में काम करते थे. पटरी पर मौत की ये दर्दनाक तस्वीर इतनी विचलित करने वाली है कि किसी का दिल रो पड़ेगा. ये लाशें हैं उन मजदूरों की जो लॉकडाउन में पटरी पर पलायन करने को मजबूर हो गए, लेकिन उन्हें क्या पता था कि पटरी पर मौत का उनका इंतजार कर रही है. बताया जा रहा है कि कल शाम इन मजदूरों ने पटरी की राह पकड़ी. रात में जब थक गए तो पटरी पर ही सो गए और सुबह करीब 6 बजे मालगाड़ी दौड़ी और इन गरीब और बेबस मजदूरों के सफर पर हमेशा हमेशा के लिए ब्रेक लगाकर निकल गई.
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जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के रहने वाले 19 मजदूर महाराष्ट्र के जालना की फैक्ट्री में काम करते थे लेकिन लॉकडाउन में हालात ऐसे बने कि उन्होंने जान को जोखिम में डालकर पैदल ही जालना से औरंगाबाद का सफर शुरू कर दिया. इस उम्मीद के साथ कि औरंगाबाद में उन्हें मध्य प्रदेश के लिए शायद कोई श्रमिक स्पेशल ट्रेन मिल जाए.
और इसी उम्मीद में उन्होने पटरी पर पलायन का जोखिम उठा लिया, लेकिन किसी को क्या पता था कि जिंदगी बचाने के लिए ये जोखिम उनकी जिंदगी ही ले लेगा. फिलहाल इस दर्दनाक हादसे पर प्रधानमंत्री से लेकर उप राष्ट्रपति तक सबने दुख जताया है.. रेलवे ने अपनी तरफ से हादसे की जांच के आदेश भी दे दिए हैं. मृतकों के परिजनों को मुआवजा भी मिल जाएगा, लेकिन इस हादसे ने जो बड़े सवाल खड़े किए हैं जिसकी जद में पुलिस, रेलवे और महाराष्ट्र सरकार भी आते हैं.
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बड़ा सवाल यही है कि लॉकडाउन के दौरान जब पाबंदियां थीं तो फिर ये मजदूर पटरी पर कैसे आ गए? पटरी पर आने से पहले इन्हें क्यों नहीं रोका गया. स्थानीय पुलिस और रेलवे पुलिस क्या कर रही थी. पलायन पर उद्धव सरकार का इतना ढीला रवैया क्यों है?
इन सवालों का जवाब उद्धव सरकार, रेलवे और पुलिस को देना होगा.. ताकि ऐसे हादसे की पुनरावृति न हो सके
Source : News Nation Bureau