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Explainer: जब एक वोट से गिर गई थी अटल बिहारी की सरकार, कितना अहम है लोकसभा स्पीकर का पद?

Lok Sabha Speaker: वैसे तो डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है, लेकिन सोलहवीं लोकसभा में ये पद एनडीए में शामिल एआईडीएमके को दिया गया था. जब की 17 भी लोकसभा में किसी को भी डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया.

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Mohit Sharma
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Lok Sabha Speaker( Photo Credit : File Pic)

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Lok Sabha Speaker: 26 जून से लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने वाला है जो 3 जुलाई तक चलेगा. इस दौरान नए सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी और नया स्पीकर का भी चुनाव किया जाएगा. ऐसी खबर है कि बीजेपी ओम बिरला को दूसरी बार स्पीकर बना सकती है तो वहीं चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू स्पीकर पद की मांग कर रही है.  स्पीकर का पद रूलिंग पार्टी या गठबंधन की ताकत का प्रतीक होता है, वहीं लोकसभा के कामकाज पर उसका कंट्रोल होता है. संविधान में स्पीकर के साथ डिप्टी स्पीकर के चुनाव का भी प्रावधान है, जो स्पीकर की गैरमौजूदगी में सदन की अध्यक्षता करता है.

डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा

वैसे तो डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है, लेकिन सोलहवीं लोकसभा में ये पद एनडीए में शामिल एआईडीएमके को दिया गया था. जब की 17 भी लोकसभा में किसी को भी डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया. अब देखना है की अठारहवीं लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद किसे मिलेगा? इधर विपक्षी यानी इंडिया अलायन्स लोकसभा में संख्याबल के लिहाज से मजबूत स्थिति में है. ऐसे में उसे उम्मीद है की डिप्टी स्पीकर पद की जिम्मेदारी विपक्ष के किसी सांसद को मिलेंगे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो विपक्षी खेमा स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगा. माना जा रहा है की ओम बिड़ला को स्पीकर बनाने के साथ ही डी पुरंदेश्वरी को लोकसभा का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है. डी. पुरंदेश्वरी को साउथ की सुषमा स्वराज कहा जाता है. वो टीडीपी के संस्थापक एनटी रामाराव की बेटी हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पत्नी नारा भुवनेश्वरी उनकी बहन हैं.

डिप्टी स्पीकर के लिए डी. पुरंदेश्वरी का नाम आगे

पुरंदेश्वरी ने चंद्रबाबू नायडू का उस वक्त साथ दिया जब उन्होंने अपने ससुर एनटी रामाराव की सरकार गिराई थी. पुरंदेश्वरी ने साल 2004 में पहला लोकसभा चुनाव जीता. 2009 में उन्हें मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया. साल 2012 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया. साल 2014 में पुरंदेश्वरी बीजेपी से जुड़ीं और तमाम पदों पर जिम्मेदारियां निभाते हुए आंध्र प्रदेश बीजेपी की अध्यक्ष बनी. हाल ही में उन्होंने राजमुंदरी सीट से चुनाव जीता है. ऐसे में अगर उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया जाता है तो चंद्रबाबू नायडू पर सॉफ्ट प्रेशर रहेगा. वो और उनकी पार्टी परन्देश्वरी का विरोध नहीं कर सकेंगे.

स्पीकर का पद बेहद अहम

अब बात करते है स्पीकर क्या है, उसका काम क्या होता है, क्यों ये पद बेहद अहम माना जाता है? संविधान के आर्टिकल 93 और 178 में संसद के दोनों सदनों सदनों और विधानसभा अध्यक्ष पद का जिक्र है. आमतौर पर लोकसभा में नई सरकार बनते ही स्पीकर चुनने की परंपरा रही है और प्रधानमंत्री के शपथ लेने के 3 दिन के अंदर इनकी नियुक्ति की जाती है. स्पीकर लोक सभा का प्रमुख और पीठासीन अधिकारी होता है. लोकसभा कैसे चलेगी, इसकी जिम्मेदारी स्पीकर की होती है. संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत स्पीकर संसद के दोनों सदनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है. लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता देने का भी फैसला स्पीकर ही करता है. साथ ही वो सदन के नेता आमतौर पर प्रधानमंत्री का अनुरोध पर सदन की गुप्त बैठक भी आयोजित कर सकता है. दल बदल कानून में स्पीकर की भूमिका अहम होती है. स्पीकर अपने विवेक से दल बदलने वाले सांसद को चाहे तो अयोग्य घोषित कर सकता है.स्पीकर के आदेश पर दिसंबर 2023 में एक साथ विपक्ष के 78 सांसदों को संसद से निलंबित कर दिया गया था.

क्या है स्पीकर की शक्तियां

कोई विधेयक मनी बिल है या नहीं, इस पर आखिरी फैसला स्पीकर ही करते हैं. सितंबर 2020 में संसद में पेश होने वाले तीनों कृषि अधिनियम इसके उदाहरण हैं. स्पीकर ने इन्हें मनी बिल माना था. हालांकि बाद में किसानों की धरना प्रदर्शन के बाद इन बिलों को रद्द कर दिया गया था. इसके अलावा सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है तो उस पर वोटिंग करवाने का फैसला स्पीकर लेता है. अगर ये प्रस्ताव पास हो गया तो वोटिंग करवाई जा सकती है. पक्ष विपक्ष की तरफ से बराबर वोट पड़े तो निर्णायक मत स्पीकर के पास होता है. 1999 में स्पीकर बाला योगी ने अपना विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया, जिसके चलते एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी. यह एक उदाहरण स्पीकर पद की अहमियत बताने के लिए काफी है. 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 240 सीटें मिली है, जो सरकार बनाने की स्पष्ट बहुमत नहीं है. ऐसे में बीजेपी ने चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ गठबंधन वाली सरकार बनाई है. सरकार में चार वित्त. रक्षा और विदेश सबसे ज्यादा ताकतवर होते हैं. इनमें से कोई भी मंत्रालय सहयोगी दलों को नहीं मिला है. इस बीच खबर है कि दोनों पार्टियां स्पीकर पद की मांग पर अड़ी हुई है. हालांकि बीजेपी स्पीकर का पद देकर 1999 वाली गलती बिल्कुल भी दोहराना नहीं जाएगी. 

Source : News Nation Bureau

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