कानपुर में सेना के आयुध (आर्डिनेंस) फैक्ट्री में हुए धमाके में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. घायल कर्मचारियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. फैक्ट्री में धमाका एक बॉयलर में हुआ, लेकिन कारण अभी साफ नहीं हो पाया है. बता दें कि यहां सेना के लिए गोले बारूद का निर्माण होता है और उसकी टेस्टिंग भी की जाती है. गौरतलब है कि एक दिन पहले ही कानुपर के इस आर्डिनेंस फैक्ट्री ने इतिहास रचते हुए स्वेदशी तकनीक से बने बेहद मारक धनुष तोप का सफल परीक्षण और लॉन्चिंग किया था.
सोमवार को 'धनुष' तोप को भारतीय सेना को समर्पित किया गया. 'धनुष' भारत में ही बनी स्वदेशी तोपें हैं, जिसकी मारक क्षमता बोफोर्स तोप से भी ज्यादा है. धनुष तोप भारतीय सेना की ताकत में इजाफा करेंगी. फिलहाल सेना को 6 तोप दी गई हैं, लेकिन ऑर्डिनेंस डिपो ऐसी 114 तोप बनाकर सेना को देगी.
45 कैलिबर की 155 मिलीमीटर की ये तोप पुरानी बोफोर्स की तकनीक पर जबलपुर के ऑर्डिनेस फैक्ट्री बोर्ड ने बनाई है. सेना को 6 धनुष के बाद दिसंबर तक 18 और तोप मिलने की उम्मीद है. भारतीय सेना के लिए यह गन फैक्ट्री कुल 114 धनुष तोप बनाएगी. 2022 तक सभी 114 तोपें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. इस तोप के 95 फीसदी से अधिक कलपुर्जे स्वदेशी हैं.
धनुष तोप को सभी प्रकार के इलाकों में नियोजित किया जा सकता है. ये तोप हर मौसम और हालात में पूरी तरह कारगार है. सेना की ओर से हर मौसम में किए गए परीक्षण में यह तोप खरी उतरी है. धनुष दूर तक मार कर सकती है और बेहद कठिन रास्तों पर भी आसानी से चल सकती है. यह दिन और रात दोनों वक्त सटीक निशाना लगा सकती है.
ये पुरानी बोर्फोस से कई मायने में बेहतर है. पुरानी बोर्फोस की रेंज 29 किलोमीटर थी, जबकि धनुष की रेंज 38 किलोमीटर है. इसके अलावा भी धनुष में एक और खासियत है. इस तोप में कंप्यूटर लगा हुआ है जो खुद ही गोला लोड कर उसे फायर कर सकता है. जबकि पुरानी बोफोर्स ऑटोमेटिक नहीं थी. लगातार कई घंटों तक फायरिंग के बाद भी धनुष का बैरल गरम नहीं होता. एक 'धनुष' का वजन 13 टन के करीब है और एक तोप की कीमत करीब 14.50 करोड़ रुपये है.
Source : News Nation Bureau