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बाहरी तत्व ही बिगाड़ रहे माहौल, कॉलेज प्रबंधनों ने छात्रों और पुलिस को किया आगाह

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी इस कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ. जिसमें पुलिस और छात्रों को चोट भी लगी. लाखों की संपत्ति बरबाद हो गई. 15 दिसंबर को AMU में प्रदर्शन हुआ जो हिंसा में बदल गया.

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nitu pandey
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बाहरी तत्व ही बिगाड़ रहे माहौल, कॉलेज प्रबंधनों ने छात्रों और पुलिस को किया आगाह

सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन( Photo Credit : ANI)

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नागरिकता संशोधन कानून (citizenship amendment act) के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. छात्र संगठन भी इस कानून के खिलाफ सड़क पर उतर चुके हैं. हालांकि प्रदर्शन का स्वरूप हिंसा में तब्दील हो चुका है. जिसकी चपेट में सार्वजनिक संपत्ति और बेकसूर लोग आ रहे हैं. पूर्वोत्तर के बाद उत्तर भारत में भी इस कानून के खिलाफ लोग सड़क पर उतर गए हैं. 

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में भी इस कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ. जिसमें पुलिस और छात्रों को चोट भी लगी. लाखों की संपत्ति बरबाद हुई. 15 दिसंबर को AMU में प्रदर्शन हुआ जो हिंसा में बदल गया. नागरिकता संशोधन कानून का विरोध प्रदर्शन हिंसक होने से करीब 60 स्टूडेंट्स घायल हो गए.पुलिस ने सोमवार सुबह करीब 1000 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत दो एफआईआर दर्ज कराईं. इनमें से 52 की पहचान कर ली गई है और 26 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनमें महज 7 यूनिवर्सिटी के छात्र हैं. बाकि पूर्व छात्र और स्थानीय लोग शामिल है. 

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इधर, एएमयू के रजिस्टार ने अलीगढ़ जिला मजिस्ट्रेट (DM) को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि व्यवस्थापक को सूत्रों के माध्यम से जानकारी मिली कि विरोध की आड़ में असामाजिक तत्व एएमयू के एडमिन ब्लॉक में प्रवेश कर सकते हैं और नुकसान पहुंचा सकते हैं. अतः आपसे अनुरोध है कि अप्रिय घटना को रोकने के लिए एडमिन ब्लॉक के बाहर सुरक्षा बल तैनात करें.

मतलब छात्र प्रदर्शन की आड़ में असामाजिक तत्व हिंसा फैला रहे हैं. ये बात दिल्ली में भी सामने आई है. जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र और स्थानीय लोग भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने उतरे. रविवार को प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गई. उपद्रवियों ने पत्थरबाजी की. जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. जामिया मिलिया इस्लामिया के वीसी ने भी कहा है कि यूनिवर्सिटी के छात्र हिंसक प्रदर्शन में शामिल नहीं थी. 

15 दिसंबर को हुई घटना में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया. इन 10 में से कोई छात्र नहीं है. वह सभी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं. एएनआई के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में कोई भी छात्र नहीं है.

सवाल यह है कि क्या प्रदर्शन की आड़ में किसी और मकसद को पूरा करने का काम किया जा रहा है. पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पहले ही बोल चुके हैं कि सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) नागरिकता देने का कानून है ना कि छिनने का.

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आज यानी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की राजधानी रांची में रैली को संबोधित करते हुए कहा है कि छात्रों को ये समझना होगा कि कहीं कुछ दल, कथित अर्बन नक्सल और अपने आपको बुद्धिजीवी कहने वाले छात्रों के कंधे पर बंदूक रखकर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा कर रहे हैं.

पीएम मोदी मुसलमानों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह देश के किसी भी नागरिक के खिलाफ नहीं है. बावजूद इसके लोग समझ क्यों नहीं रहे हैं.

इसके साथ सवाल यह भी है कि जब हिंसा बाहरी तत्व करा रहे हैं तो उन्हें रोकने के लिए पहले कदम क्यों नहीं उठाया गया. हालांकि दिल्ली में कई जगह पर हो रहे हिंसक प्रदर्शन को खत्म करने के लिए मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग उतरे हैं. उन्होंने लोगों को समझाया है कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है. प्रदर्शन शांति से होना चाहिए. जिसके बाद कई इलाकों में माहौल शांत हुआ है.

Source : NITU KUMARI

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