किसान कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बुधवार को आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए राजधानी में मार्च किया. साथ ही पिछले 102 दिनों में हुई 250 से ज्यादा किसानों की मौत पर सरकार की चुप्पी को लेकर सवाल भी उठाया. उन्होंने मांग की है कि आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए. उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी के नेतृत्व में किसान कांग्रेस कार्यकर्ता संसद के पास विजय चौक इलाके में पहुंचे और जमकर नारेबाजी की. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा पिछले सितंबर में पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की. सोलंकी ने मीडिया से कहा, 3 कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 102 दिनों से बैठे किसानों में से 250 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई है. लेकिन सरकार ने उनकी मृत्यु पर एक भी शब्द नहीं बोला है.
सोलंकी ने विरोध के दौरान जान गंवाने वाले हर किसान के परिवार को 1 करोड़ रुपया मुआवजा दिए जाने की भी मांग की. बता दें कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग लेकर पिछले साल के 26 नवंबर से दिल्ली की कई सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं. इस दौरान किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है.
ब्रिटेन में गूंजा था मुद्दा
ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसदों की पहल पर चलाए गए सिग्नेचर कैंपेन के बाद भारत की मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन की संसद में किसान आंदोलन और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी चर्चा हुई. गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान नेता और किसान संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बीते 100 दिन से दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं. किसान आंदोलन पर इस याचिका पर हस्ताक्षर अभियान नवंबर में शुरू हुए थे. मिली सूचना के अनुसार इस पेटीशन पर करीब 116 हजार लोगों ने सिग्नेचर किए हैं. हालांकि ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन सरकार ने किसान आंदोलन को भारत का घरेलू मामला बताक संकेत दे दिया कि बोरस जॉनसन सरकार इस मसले पर भारत के साथ खड़ी है.
सरकार का रुख भारत के साथ
वहीं चर्चा पर जवाब देने के लिए प्रतिनियुक्त किए गए मंत्री निगेल एडम्स ने कहा कि कृषि सुधार भारत का 'घरेलू मामला' है, इसे लेकर ब्रिटेन के मंत्री और अधिकारी भारतीय समकक्षों से लगातार बातचीत कर रहे हैं. एडम्स ने उम्मीद जताई कि जल्द ही भारत सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत के माध्यम से कोई पॉजिटिव रिजल्ट निकलेगा. इससे पहले भी ब्रिटिश सरकार से किसान आंदोलन को लेकर सवाल किए जा चुके हैं, लेकिन हर बार उन्होंने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताते हुए खुद को अलग करने की कोशिश की थी. माना जाता है कि ब्रिटिश सरकार का रूख भारत सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने को लेकर ज्यादा है. भारत ने भी सम्मान दिखाते हुए इस बार गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि बनाया था. हालांकि ब्रिटेन में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया था.
HIGHLIGHTS
- किसान आंदोलन में किसानों की मौत पर मुआवजा
- मृतक किसानों के परिजनों को मिले एक करोड़ का मुआवजा
- ब्रिटिश संसद में भी उठा था किसान आंदोलन का मुद्दा