(विनोद शर्मा-भोपाल). भारतीय जनता पार्टी में परिवारवाद को लेकर बनाई गई गाइडलाइन के बाद अब नेताओं के बेटे बेटियों का सियासी रास्ता फिलहाल खुलने वाला नहीं है. पार्टी ने यह भी साफ कर दिया है कि परिवार से एक ही सदस्य राजनीति करेगा. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं कोई स्पष्ट कर दिया है कि परिवारवाद को लेकर पार्टी की नीति अब ज्यादा सख्त हो गई है. इसका खुलासा खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भोपाल में मीडिया के सामने किया. उन्होंने कहा कि पार्टी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देगी और भाजपा ने देश की राजनीति में परिवारवाद की संस्कृति के खिलाफ आवाज उठाई है. हमारी कोशिश है कि पिता के बाद बेटा न आ जाए, इसको रोका जाए.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे राजनीति में आने को तैयार?
इस गाइडलाइन के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सिंधिया परिवार में एक ही व्यक्ति राजनीति कर रहा है. लेकिन सिंधिया परिवार का इतिहास देखें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महानआर्यमन की सियासी पारी कभी भी शुरू हो सकती है. हालांकि गुरुवार को ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से न्यूज़ स्टेट ने जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने अपने बयान में साफ कर दिया कि पिछले 30 - 40 साल से सिंधिया परिवार का एक ही सदस्य राजनीति कर रहा है. सिंधिया के इस बयान के बाद परिवार की सामाजिक और कानूनी परिभाषाओं पर चर्चा होने लगी है. क्योंकि आज सिंधिया परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर वसुंधरा राजे सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया और सिंधिया परिवार की कृपा पात्र रहीं माया सिंह और माया सिंह के पति ध्यानेन्द्र सिंह भी सिंधिया परिवार के सदस्य के रूप में सियासत करते रहे. वैसे, कानूनी तौर पर अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार की बात करें तो उनका एक बेटा महानआर्यमन सिंधिया, बेटी अनन्या राजे सिंधिया, पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया और मां माधवी राजे सिंधिया हैं. ये बात सही है कि इनमें केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया ही राजनीति कर रहे हैं.
शीर्ष पर रह चुके हैं सिंधिया परिवार के कई लोग
दूसरी ओर अगर हम सिंधिया वंश की बात करें एक ही समय में सिंधिया परिवार के कई सदस्य राजनीति में सक्रिय रहे हैं. राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समय उनकी बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की सियासत में एक बड़ा चेहरा बनकर उभरीं तो दूसरी बेटी यशोधरा राजे सिंधिया ने भी मध्य प्रदेश की सियासत में पैर जमा लिए. वहीं सिंधिया परिवार के सदस्य के रूप में माया सिंह राज्यसभा सांसद से लेकर महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं और बाद में प्रदेश सरकार की मंत्री भी बनीं. सिर्फ इतना ही नहीं माया सिंह के पति ध्यानेन्द्र सिंह भी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समय प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
बीजेपी नेताओं की दूसरी पीढ़ी तैयार
बीजेपी की परिवारवाद की नीति से स्पष्ट हो रहा है की पार्टी में कम से कम 5 साल तक सक्रिय रहे किसी नेता की बेटे या बेटी को तभी मौका दिया जा सकता है जब पहला रिटायरमेंट ले ले. इस गाइडलाइन के जारी होने के बाद प्रदेश के कई नेताओं के बेटों का सियासी करियर अभी शुरू नहीं हो पाएगा. इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महान आर्यमन सिंधिया, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह, तुलसी सिलावट के बेटे नीतीश सिलावट का नाम शामिल है.
हालांकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार पर दिए बयान से यह बात जाहिर हो रही है की यशोधरा राजे और वसुंधरा राजे सिंधिया का अपना अलग परिवार है. भले ही वह सिंधिया परिवार की वंशज हों लेकिन परिवार की परिभाषा में वे शामिल नहीं की जा सकतीं. वैसे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बाद वे ही ऐसे नेता हैं जिन्होंने ये कहा कि मेरे परिवार में मैं एकमात्र राजनीति में हूं. यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बात का संदेश दे दिया है कि उनका परिवार शुरू से ही परिवारवाद के पक्ष में नहीं है.
HIGHLIGHTS
- बीजेपी में परिवारवाद के खिलाफ लहर
- सिंधिया बोले-मेरे परिवार से एक ही व्यक्ति राजनीति में
- परिवारवाद से किनारा कर रही बीजेपी
Source : Vinod kumar